Punjab Government: धार्मिक ग्रंथों के अपमान पर सख्त कानून की तैयारी, पंजाब विधानसभा में प्रस्तावित विधेयक समिति को सौंपा गया
पंजाब सरकार ने धार्मिक ग्रंथों के अपमान को गंभीर अपराध मानते हुए इससे संबंधित एक कठोर विधेयक प्रस्तावित किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा प्रस्तुत "पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक, 2025" को विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजा गया है ताकि इस पर जनता और धार्मिक संगठनों की राय ली जा सके।
Punjab Government: पंजाब सरकार ने धार्मिक ग्रंथों के अपमान को गंभीर अपराध मानते हुए इससे संबंधित एक कठोर विधेयक प्रस्तावित किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा प्रस्तुत “पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक, 2025” को विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजा गया है ताकि इस पर जनता और धार्मिक संगठनों की राय ली जा सके।
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समिति को सौंपा गया विधेयक
विधानसभा के विशेष सत्र के अंतिम दिन, अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने घोषणा की कि यह विधेयक छह महीने के भीतर समीक्षा के बाद समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस समिति में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सभी समुदायों की राय को शामिल किया जाए।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
इस विधेयक में गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, बाइबिल और कुरान सहित पवित्र धार्मिक ग्रंथों के अपमान को गंभीर अपराध माना गया है। इसमें दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही 5 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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अपमान के दायरे में कौन-कौन सी हरकतें?
विधेयक के अनुसार, किसी भी पवित्र ग्रंथ या उसके किसी भाग का अपवित्रीकरण, क्षति पहुंचाना, जलाना, फाड़ना, विरूपण या अपघटन अपराध की श्रेणी में आएगा। इसके अतिरिक्त, यदि कोई व्यक्ति इस तरह का अपराध करने का प्रयास करता है, तो उसे 3 से 5 साल की सजा और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं, यदि कोई व्यक्ति अपराध में सहयोग करता है, तो उसे भी समान रूप से सजा दी जाएगी।
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2015 की घटनाओं का संदर्भ
मुख्यमंत्री मान ने विधेयक पेश करते समय 2015 में हुए बेअदबी के मामलों का उल्लेख किया और कहा कि इससे बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता। उन्होंने इस विधेयक को राज्य की धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक शांति बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
यह विधेयक अब आगे समिति की सिफारिशों के आधार पर संशोधित होकर विधानसभा में पुनः प्रस्तुत किया जाएगा।
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