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Pura Mahadev temple in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के पुरा महादेव मंदिर में दर्शन करने आते है लाखों श्रद्धालु…क्यों है मंदिर की इतनी मान्यता ?

Pura Mahadev temple: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले मे पुरा महादेव स्थित परशुरामेश्वर महादेव मंदिर है जहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है। भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए भक्त सुबह से ही लाइन में लग जाते है पुरा महादेव मंदिर की मान्यता और इतिहास के बारे में हम आपको बताते हैं.

Pura Mahadev temple: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले मे पुरा महादेव स्थित परशुरामेश्वर महादेव मंदिर है जहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है। भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए भक्त सुबह से ही लाइन में लग जाते है पुरा महादेव मंदिर की मान्यता और इतिहास के बारे में हम आपको बताते हैं.

परशुरामेश्वर महादेव मंदिर उस कजरी जंगल में स्थित है, जहां पर जमदग्नि ऋषि अपनी धर्म पत्नी रेणुका के साथ रहा करते थे।परशुरामेश्वर पुरा महादेव गांव कजरी वन में बसा हुआ है। प्रतिदिन आश्रम में जमदग्नि ऋषि की पत्नी रेणुका कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी से जल भरकर भगवान शिव को चढाती थी। एक बार राजा सहस्त्रबाहु शिकार खेलते हुए आश्रम पहुंचे। जमदग्नि ऋषि की अनुपस्थिति में रेणुका से उनका साक्षात्कार हुआ। ऋषि की पत्नी रेणुका ने सहस्त्रबाहु राजा की सेवा की। राजा सेवा भाव देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि एक वन में इतनी व्यवस्थाएं कैसे हो सकती हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक , राजा ने जिज्ञासा के भाव से जब रेणुका से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कामधेनु गाय का जिक्र करते हुए उनकी कृपा के बारे में बताया। राजा उस अद्भुत गाय को बलपूर्वक वहां से ले जाने लगा तो रेणुका ने इसका विरोध किया। राजा गुस्से में रेणुका को जबरदस्ती उठाकर ले गया था, और ले जाकर राजा ने हस्तिनापुर अपने महल में  रेणुका को कमरे में बंद कर दिया। एक दिन रखने के बाद राजा ने रेणुका को आजाद कर दिया। रेणुका ने वापस आकर सारी दुर्घटना के बारे में ऋषि को बताया । बात सुनने के बाद  ऋषि ने एक रात दूसरे पुरुष के महल में रहने के कारण रेणुका को ही आश्रम छोड़ने का आदेश दे दिया परंतु वह आश्रम छोड़कर नहीं गईं। जमदग्नि  ऋषि ने अपने तीन पुत्रों को उनकी माता रेणुका का सिर धड़ से अलग करने को कहा, हालांकि पुत्रों ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। चौथे पुत्र परशुराम  ने पिता के आदेश पर अपनी माता का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब उनको पश्चाताप हुआ तो उन्होंने भगवान शिव की तपस्या आरंभ कर दी। तपस्या से भोलेनाथ प्रसन्न होकर  परशुराम से वरदान मांगने के लिए कहा। परशुराम ने अपनी माता को दोबारा जीवित करने की वरदान मांगा। भगवान भोलेनाथ ने उनकी माता को जीवित कर दिया

परशुराम  ने 21 बार किया क्षत्रियों का संहार इसके साथ ही भगवान भोलेनाथ ने परशुराम को एक फरसा प्रदान किया। इससे ही उन्होंने 21 बार क्षत्रियों का संहार किया था। परशुराम ने जिस स्थान पर शिवलिंग की स्थापना की थी और वहां पर एक मंदिर बना दिया। कुछ समय बाद  मंदिर खंडहर में तब्दील हो गया। कई सालों बाद यह मिट्टी का ढेर बन गया। माना जाता है कि एक बार लणडोरा की रानी वन मे घूमने के लिए निकली थी। उस टीले पर आकर उनका हाथी रुक गया था। बहुत कोशिशों के बाद भी हाथी ने उस टीले पर पैर नहीं रखा। यह देखकर रानी को आश्चर्य हुआ और उन्होंने टीले की खुदाई।

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Ashok Kumar

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