Nimisha Priya Yemen: फांसी से मिली राहत, निमिषा प्रिया की सजा पर यमन में फिलहाल रोक, भारत के प्रयासों को मिली सफलता
भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की यमन में होने वाली फांसी को फिलहाल टाल दिया गया है। यह राहत भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट और धार्मिक नेताओं के प्रयासों से संभव हुई है। अब उनकी ज़िंदगी ‘ब्लड मनी’ समझौते की सफलता पर टिकी है।
Nimisha Priya Yemen: यमन में हत्या के आरोप में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की नर्स निमिषा प्रिया को फिलहाल बड़ी राहत मिली है। यमन सरकार ने उनकी फांसी पर अंतरिम रोक लगा दी है। यह फैसला भारत सरकार की कूटनीतिक कोशिशों, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और धार्मिक नेताओं की मध्यस्थता के चलते संभव हुआ है। अब निमिषा की जिंदगी ‘ब्लड मनी’ यानी क्षतिपूर्ति पर आधारित समझौते की सफलता पर निर्भर है।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया एक भारतीय नर्स हैं जो बेहतर नौकरी की तलाश में 15 साल पहले यमन गई थीं। वहां उन्होंने एक यमनी नागरिक के साथ मिलकर क्लिनिक खोला था। बाद में दोनों के बीच विवाद हुआ और एक झगड़े में यमनी साझेदार की मौत हो गई। इसी मामले में यमन की अदालत ने निमिषा को मौत की सजा सुनाई थी।
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फांसी पर क्यों लगी रोक?
निमिषा की फांसी 16 जुलाई 2025 को तय की गई थी। लेकिन अंतिम समय पर भारत सरकार ने यमन प्रशासन से आग्रह किया कि इस सजा को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए, ताकि ब्लड मनी के ज़रिए समझौते की प्रक्रिया पूरी की जा सके। यमन की शरिया प्रणाली के अनुसार, यदि मृतक के परिवार वाले क्षतिपूर्ति स्वीकार कर लें, तो फांसी की सजा को माफ किया जा सकता है।
भारत की ओर से विदेश मंत्रालय, केरल सरकार और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत यमन से लगातार बातचीत की गई। इसी क्रम में सूफ़ी धार्मिक गुरु शेख हबीब उमर बिन हाफ़िज़ और अन्य प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं ने मध्यस्थता करते हुए यमनी पक्ष से बात की और सुलह का रास्ता सुझाया।
12 साल बाद मां-बेटी की मुलाकात
निमिषा की मां ने हाल ही में यमन जाकर अपनी बेटी से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद कमजोर हो चुकी है। “उसकी आंखों में डर है, लेकिन उम्मीद भी है कि भारत उसे बचा लेगा,” मां ने मीडिया से बातचीत में कहा। यह मुलाकात भावुक करने वाली रही और इससे पूरे देश का ध्यान एक बार फिर इस मामले पर गया।
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सुप्रीम कोर्ट की भूमिका
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह यमन में ब्लड मनी के ज़रिए सुलह का प्रयास करे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र ने सभी जरूरी प्रयास किए हैं और अब बातचीत की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 18 जुलाई को तय की है और तब तक केंद्र से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
राजनीतिक और सामाजिक समर्थन
इस मामले को लेकर केरल से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने केंद्र से हस्तक्षेप की मांग की थी। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल कार्रवाई की अपील की थी। साथ ही नागरिक संगठनों ने फंड जुटाकर ब्लड मनी की रकम तैयार करने की मुहिम भी शुरू की है।
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अब आगे क्या?
पूरा मामला इस बात पर टिका है कि मृतक के परिवार से क्षतिपूर्ति की शर्तों पर समझौता होता है या नहीं। अगर वे ब्लड मनी स्वीकार करते हैं, तो निमिषा की सजा माफ की जा सकती है। अगर नहीं, तो फिर कानूनी विकल्प सीमित रह जाएंगे।
फिलहाल भारत सरकार, न्यायपालिका और धार्मिक समुदाय के साझा प्रयासों से निमिषा प्रिया को फांसी से कुछ वक्त की राहत जरूर मिल गई है। लेकिन यह लड़ाई अभी पूरी नहीं हुई है। आगामी दिनों में ब्लड मनी को लेकर होने वाली बातचीत और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होने वाली सुनवाई इस पूरे मामले का भविष्य तय करेंगी।
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