नई दिल्ली: सुप्रसिद्ध कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका देकर ‘द प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट 1991’ में करने बदलाव या खत्म करने की मांग की है। महाराज जी का कहना है कि द प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट 1991 हमारे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन करता है। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम में संशोधन करके अथवा खत्म करके करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत होने से बचाया जा सकता है। इस याचिका पर शीघ्र ही सुनवाई होने की उम्मीद है।
कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि लोकतंत्र की सुंदरता यही है कि हम अपने अधिकारों के लिए अदालत में अपनी बात रख सकते हैं। हम संविधान में मिले अपने धार्मिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए ही अपनी बात सर्वोच्च अदालत में लेकर आये हैं। यदि लोकतांत्रिक सरकार में हमें अपनी बात कहने की स्वतंत्रता नहीं होगी, तो फिर इसे भीड़तंत्र का शासन माना जाना चाहिए।
देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर काशी, मथुरा और अयोध्या को नहीं छोड़ सकते। औरंगजेब ने जो जुल्म किये, कत्लेआम किया, उसे कौन नहीं जानता। औरंगजेब ने किसी तरह हिन्दुओं के धार्मिक स्थलों को तोड़ा और वहां अपने धर्म के स्थलों का निर्माण कराया, इसे सब जानते हैं। अब अगर एतिहासिक गलतियों को सुधारने की कोशिश की जा रही हैं तो इसमें बुराई क्या है।
ज्ञानवापी मामले के बाद से सुप्रीम कोर्ट में एक सप्ताह में चार याचिकाएं दाखिल होने से मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने के मामलों ने जोर पकड़ लिया है। एक और अधिवक्ता ने याचिका दायर कर देश में सौ साल पुरानी मस्जिदों, जहां पर बने तालाबों में वजू होती है, उन सबकी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे किये जाने की मांग की है। आये दिन इस तरह की याचिकाओं से ज्ञानवापी मामले को हवा मिल रही है।