गांदरबल (जम्मू-कश्मीर): घाटी में बुधवार को आंतकवाद पर जम्मू-कश्मीर के कश्मीरी पंडितों और हिन्दुओं की धार्मिक आस्था भारी पड़ती दिखायी दी। जनपद गांदरबल के गांवतुलमुला स्थित खीर भवानी मंदिर मेले में भारी संख्या में कश्मीरी पंडितों व हिन्दू श्रद्धालुगण पहुंचे। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर के एडीजी ने भी मां भवानी मंदिर जाकर वहां उनकी पूजा-अर्चना की।
कोरोना के कारण खीर भवानी मेला दो साल तक स्थगित रहा था, लेकिन इस बार यह मेला लग रहा है। यह मेला गांदरबल के साथ ही जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग, कुपवाडा सहित पांच स्थानों पर में पहले की तरह मेले आयोजित हो रहे हैं। मेले के दौरान सुरक्षा के व्यापक प्रबंध रहे।
भवानी मंदिर के संदर्भ में बताया गया कि गांदरबल के गांव तुलमुला स्थित खीर भवानी मंदिर को वर्षों पहले तत्कालीन राजा प्रताप सिंह ने बनवाया था और राजा हरि सिंह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। मां भवानी में कश्मीरी पंडितों की विशेष आस्था है। कहा जाता है कि मां भवानी लंकाधीश रावण की कुलदेवी हैं, लेकिन माता सीता के अहरण के अधर्म के कारण वे रावण से नाराज हो गयी थीं और इसी नाराजगी के चलते वे लंका से कश्मीर आ गयी थी।
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यह दावा किया जाता है कि इस यदि कहीं कोई अनिष्ट अथवा अधर्म होता है तो मंदिर परिसर में बने कुंड के पानी का रंग बदलने लगता है। कुंड के पानी का रंग बदलकर मां भवानी अपने श्रद्धालुओं को शुभ अथवा अशुभ होने का संकेत देतीं हैं, ताकि उनके भक्त अधर्म से बच सकें।
खीर भवानी मेले में आने वाले श्रद्धालु मंदिर में बने कुंड में दूध और शक्कर डालते हैं, जिससे खीर बनायी जाती हैं। यहां प्रसाद के रुप में खीर को ही बांटा जाता है। मान्यता है कि खीर का भोग लगाने और प्रसाद के रुप में बांटे जाने से मां भवानी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करती हैं। आज जिस तरह में खीर मेलों में मां भवानी के भक्तों का सैलाब उमड़ा है, वह घाटी में दशहत को माहौल फैलाने की कोशिश करने वालों के मुंह पर करारा तमाचा है।