नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की रिक्त 11 राज्यसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में 11 में से 3 सीटों पर विधायक संख्या बल पर सपा के खाते में जाना तय है, लेकिन राज्यसभा में सपा के पार्टी सिंबल का एक ही सांसद होगा। सपा के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी कपिल सिब्बल और राष्ट्रीय लोकदल (RLD)-समाजवादी पार्टी के संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर RLD मुखिया जयंत चौधरी का भी राज्यसभा में पहुंचना लगभग तय है।
माना जा रहा था कि सपा जयंत चौधरी और सपा मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव में से किसी एक को ही राज्यसभा में भेजेगी। सपा मुखिया अखिलेश यादव चाहते थे कि जयंत चौधरी सपा के टिकट पर राज्यसभा का चुनाव लड़ें, लेकिन जयंत और रालोद नेता इस बात से सहमत नहीं थे। लेकिन सपा को सहारा लेना रालोद की मजबूरी भी थी। रालोद अपने सात विधायकों के दम पर तो जयंत को राज्यसभा नहीं भेज सकती थी।
जयंत चौधरी और रालोद नेता यह तो चाहते थे कि RLD मुखिया राज्यसभा सदस्य बने, लेकिन सपा के टिकट पर नहीं, बल्कि RLD के टिकट पर। इस पर दोनों पार्टियों के नेताओं ने काफी सोच विचार के बाद बीच का रास्ता अपनाया और जयंत को रालोद-सपा को सयुंक्त प्रत्याशी बनाने का निर्णय लिया गया।
यहां पढ़ें- कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, कपिल सिब्बल ने भी छोड़ा दामन
राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी ने विधान सभा चुनाव भी मिलकर लड़ा था और इन्होनें अपने संयुक्त प्रत्याशी ही खड़े किये थे, लेकिन चुनाव के बाद अखिलेश-जयंत की जुगलबंदी आगे नहीं बढ सकी। इन दोनों नेताओं के बीच प्रभावी जुगलबंदी का आभाव ही देखने को मिला, लेकिन अब दोनों की राजनीतिक जररुत फिर से एक दूसरे के करीब ले आयी है।