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Russia attack on Ukraine: रूस ने पहली बार यूक्रेन पर दागी ये खास मिसाइल, अब भारत टेंशन में

इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला। गुरुवार को ब्रेंट क्रूड वायदा 0.4% बढ़कर 73.09 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड वायदा भी 69.03 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। आइए समझते हैं कि भारत के लिए यह चिंता की बात क्यों है?

Russia attack on Ukraine: रूस और यूक्रेन के बीच तनाव कम नहीं हो रहा है। अब रूस ने यूक्रेन पर चल रहे अपने हमले को और तेज कर दिया है। गुरुवार, 21 नवंबर को रूस ने यूक्रेन के शहर द्निप्रो पर अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल RS-26 रुबेज़ से हमला किया। इस घटना ने न सिर्फ़ दोनों देशों के बीच टकराव को और गहरा किया, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों में भी हलचल मचा दी। यूक्रेनी वायुसेना ने पुष्टि की है कि रूस ने इस हमले को पहले से ही योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया था।

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल

इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया। गुरुवार को ब्रेंट क्रूड वायदा 0.4% बढ़कर 73.09 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड वायदा भी 69.03 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। भू-राजनीतिक तनाव और आपूर्ति व्यवधान की चिंताओं ने कीमतों को बढ़ा दिया।

इसका क्या असर होगा?

तेल की बढ़ती कीमतें भारत जैसे ऊर्जा आयात पर निर्भर देशों के लिए चिंता का विषय हैं। भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का अधिकांश हिस्सा आयात करता है, जिस पर वैश्विक तेल बाजार में उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है। कच्चे तेल की ऊंची कीमतें न केवल व्यापार घाटे को बढ़ा सकती हैं, बल्कि मुद्रास्फीति दर को भी बढ़ा सकती हैं। रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, इसलिए आपूर्ति में किसी भी तरह की बाधा का भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर गहरा असर पड़ सकता है।

तेल बाजार पर एक और असर ओपेक+ की आगामी बैठक से पड़ सकता है। रूस के नेतृत्व में पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगी 1 दिसंबर को होने वाली बैठक में उत्पादन बढ़ाने की योजना को टाल सकते हैं। ओपेक+ ने पहले 2024 और 2025 में उत्पादन में मामूली वृद्धि की योजना बनाई थी, लेकिन वैश्विक तेल मांग में गिरावट और अन्य देशों द्वारा उत्पादन बढ़ाए जाने से यह योजना मुश्किल हो गई है।

भारत क्यों तनाव है में?

अमेरिका में कच्चे तेल के भंडार में 5,45,000 बैरल की वृद्धि का भी कीमतों पर असर पड़ रहा है। यह भंडार 43.03 करोड़ बैरल तक पहुंच गया है। विश्लेषकों ने इससे कम वृद्धि का अनुमान लगाया था, लेकिन भंडारण में अप्रत्याशित वृद्धि ने बाजार की स्थिति को और जटिल बना दिया है। रूस-यूक्रेन युद्ध और तेल बाजार में हाल के घटनाक्रमों का वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और कीमतों पर बड़ा असर पड़ सकता है। भारत जैसे देशों के लिए यह स्थिति आर्थिक चुनौतियों को और बढ़ा सकती है। आने वाले हफ्तों में ओपेक+ की बैठक और भू-राजनीतिक घटनाओं पर नजर रखना महत्वपूर्ण होगा।

Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

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