Russia Ukraine: भारत के नक्शे कदम पर यूरोपीय देश, अकेले पड़ा अमेरिका
पूरे यूरोप के अंदर अलग-अलग जगह पर प्रदर्शन हो रहे हैं. सभी प्रदर्शनों की एक ही डिमांड है. किसी भी तरीके से हमें इस यूक्रेन (Russia Ukraine) से छुटकारा दिलाया जाए. ये सब उसी वक्त हुआ जब हाल ही में भारत के विदे्श मंत्री रुस की यीत्रा पर थे. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में भी इस वक्त मध्यवर्ती चुनाव का माहौल चल रहा है. और वहां पर भी भारत का जो अभी तक का रवइया रहा है.
नई दिल्ली: पूरे यूरोप के अंदर अलग-अलग जगह पर प्रदर्शन हो रहे हैं. सभी प्रदर्शनों की एक ही डिमांड है. किसी भी तरीके से हमें इस यूक्रेन (Russia Ukraine) से छुटकारा दिलाया जाए. ये सब उसी वक्त हुआ जब हाल ही में भारत के विदे्श मंत्री रुस की यीत्रा पर थे. वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में भी इस वक्त मध्यवर्ती चुनाव का माहौल चल रहा है. और वहां पर भी भारत का जो अभी तक का रवइया रहा है.
यूरोपीय देशों की जनता को परेशानी
उसको देखते हुए बड़े-बड़े लाडर पक्ष में बयान दे रहे हैं. इसी के साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine) के चलते यूरोपीय देशों की जनता को जो परेशानी हुई. जनता अब उसका कड़े तौर पर विरोध कर रही है. आपको बता दें जनवरी के अंत में जब जंग की शुरूआत हुई तो मीडिया ने एक माहौल बनाया. जिसमें जनसाधारण अमेरिका यूक्रेन के साथ जुड़ता चला गया. उधर यूरोपीय देशों ने अमेरिका के कहने पर रूस के विरोध में कई बड़े फैसले लिए.
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जिनका दूरगामी परिणाम इन देशों की बिगड़ती अर्थव्यवस्था के रुप में दिख रहा है. जिसके चलते जनता आक्रोशित होती जा रही है. बता दें रूस (Russia Ukraine) की बड़ी कंपनी नोवा टेक जो कि विश्व का तकरीबन 15 प्रतिशत एलएनजी सप्लाई करती है. ये यूरोप के पास जा रहा था. आनन-फानन में इसे प्रतिबंधित करने का फैसला ले लिया गया.
भारत पुराने ही रेटों में तेल खरीद रहा
इसी दौरान इंडिया पर भी दबाव बनाया गया कि देखिए हम तो युद्ध औऱ रसिया का विरोध कर रहे हैं. लेकिन भारत हमारी बात नहीं मान रहा. वहीं इस सबके कारण यूरोपीय देशों में गैस की कीमतो में उछाल आते हुए 10 गुना तक पहुंच गयी. जहां तेल और गैस इन देशों को ज्यादा कीमत में खरीदने पड़ते हैं. वहीं भारत पुराने ही रेटों में तेल खरीद रहा है.
रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine) के बीच जहां भारत को दुनिया के सामने विलेन के तौर पर पेश करने की कोशिश की गई. वहीं अब तमाम यूरोपीय देश खुदी ही अमेरिका के हाथों ठगे हुए महसूस कर रहे हैं. जैसे ही भारत के विदेश मंत्री रशिया पहुंचे. एक के बाद एक अमेरिका की तमाम दबी नीतियां सामने आने लगी. जिसमें से एक है कि प्रतिबंध के बावजूद अमेरिका के बैंक रुस में काम कर रहे हैं.
इस खुलासे से आम जनता और यूरोपीय देशों को बड़ झटका लगा. वहीं रूस दौरे पर गए विदेश मंत्री जयशंकर ने खुले तौर पर कई एणओयू साइन किए. अब इस सबके चलते अमेरिका से जवाब देते नहीं बन रहा है. वहीं सीधे तौर पर अमेरिका और यूरोप के संघर्ष में शामिल होने के बाद यूरोप में बेरोजगारी आ चुकी है. वहां के लोगों की जमापूंजी खर्च हो चुकी है. उधर भारत अपनी स्पष्ट विदेश नीतियों के चलते शुरू से लेकर अभी तक अपने स्टैंड पर है. इस वक्त दुनिया में कोई भी भारत पर सवाल नहीं खड़े कर सकता.