Kedarnath Yatra 2025: श्रद्धालुओं को सुरक्षित और सुगम सफर, हाईवे पर सुधार कार्य तेज़ी से जारी
Keadarnath Yatra 2025: केदारनाथ यात्रा 2025 को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए प्रशासन हाईवे सुधार और सुरक्षा कार्यों में तेजी ला रहा है। कुंड में 70 मीटर लंबा बैली ब्रिज तैयार किया गया है, जिससे यातायात सुचारू रहेगा। भूस्खलन और भूधंसाव प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों के तहत सड़क मरम्मत और नए पुलों का निर्माण किया जा रहा है। कालाढुंगी प्रथम क्षेत्र में भूधंसाव रोकने के लिए 40 करोड़ रुपये की योजना लागू की गई है। अधिशासी अभियंता ओंकार पांडेय के अनुसार, तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए हाईवे के संवेदनशील स्थानों पर विशेष तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। प्रशासन ने यात्रियों से सतर्कता बरतने और ट्रैफिक नियमों का पालन करने की अपील की है ताकि यात्रा निर्बाध और सुरक्षित हो सके।
Kedarnath Yatra 2025: केदारनाथ यात्रा 2025 के लिए प्रशासन ने हाईवे को सुरक्षित और सुगम बनाने की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं। इस साल तीर्थयात्रियों को हाईवे के खतरनाक और भूस्खलन प्रभावित स्थानों से राहत मिलने की उम्मीद है। सड़क सुधार और सुरक्षा कार्यों में तेजी लाई गई है, जिससे यात्रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिल सके।
इस बार कुंड में क्षतिग्रस्त मोटर पुल के पास 70 मीटर लंबा बैली ब्रिज तैयार किया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को वैकल्पिक और कठिन रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा। इसके अलावा, हाईवे के कई स्थानों पर भूस्खलन निरोधक उपाय किए जा रहे हैं और नए पुलों का निर्माण भी किया गया है ताकि यात्रा को आसान और निर्बाध बनाया जा सके।
यात्रा मार्ग पर चल रहे सुधार कार्य
केदारनाथ यात्रा मार्ग को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए प्रशासन ने कई अहम कार्य शुरू किए हैं। विशेष रूप से उन स्थानों पर मरम्मत और सुधार किया जा रहा है, जहां बारिश के मौसम में भूस्खलन और भूधंसाव की समस्या अधिक देखने को मिलती थी।
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डोलिया देवी क्षेत्र में लंबे समय से क्षतिग्रस्त पड़े राजमार्ग को सुधारने के लिए श्रमिक दिन-रात कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा, रामपुर, कालाढुंगी प्रथम और कालाढुंगी द्वितीय क्षेत्रों में भूस्खलन प्रभावित जगहों का ट्रीटमेंट किया जा रहा है ताकि बारिश के दौरान यात्रियों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो।
भूधंसाव रोकने के लिए 40 करोड़ की योजना
कालाढुंगी प्रथम क्षेत्र में सड़क के नीचे भूधंसाव की समस्या गंभीर बनी हुई थी। सड़क के धंसने का खतरा लगातार बना रहने के कारण प्रशासन ने 40 करोड़ रुपये की लागत से इस समस्या के समाधान के लिए कार्य शुरू किए हैं। इस योजना के तहत सड़क को मजबूती देने और भूधंसाव को रोकने के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
इन उपायों से तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी और यात्रा के दौरान होने वाली संभावित दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा।
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कुंड में बैली ब्रिज तैयार, जाम से मिलेगी राहत
केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर कुंड में 70 मीटर लंबा बैली ब्रिज बनाया गया है, जिसका ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इससे न केवल पुराने पुल पर लगने वाले जाम से राहत मिलेगी, बल्कि स्थानीय निवासियों और तीर्थयात्रियों को भी सुगम मार्ग उपलब्ध होगा।
पिछले बरसात के मौसम में मंदाकिनी नदी पर बना मोटर पुल क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे वहां से वाहनों की आवाजाही बंद करनी पड़ी। इसके बाद यातायात को चुन्नी-विद्यापीठ मार्ग से मोड़ा गया, जो काफी संकरा था और इस कारण वहां जाम की समस्या बनी रहती थी। नए बैली ब्रिज के निर्माण से अब यह समस्या खत्म हो गई है और यात्रा मार्ग सुचारू रूप से संचालित किया जा सकेगा।
यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए प्रयास जारी
राष्ट्रीय राजमार्ग खंड लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ओंकार पांडेय ने बताया कि तीर्थयात्रियों को एक सहज और सुरक्षित यात्रा अनुभव देने के लिए हाईवे पर कई सुधार कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षात्मक उपाय किए जा रहे हैं और कई स्थानों पर नए पुलों का निर्माण भी पूरा हो चुका है।
सड़क निर्माण से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि हाईवे के कई संवेदनशील स्थानों पर भूधंसाव और भूस्खलन रोकने के लिए सुरक्षा कार्य किए जा रहे हैं, ताकि आगामी यात्रा के दौरान किसी को असुविधा न हो।
यात्रा के दौरान सतर्कता भी जरूरी
यात्रा मार्ग को सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यात्रियों को भी सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन करें और मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा करें।
हाईवे पर निर्माण कार्य पूरा होने के बाद केदारनाथ यात्रा अधिक सुरक्षित और सुगम होगी। सरकार और प्रशासन की ओर से हर संभव उपाय किए जा रहे हैं, जिससे तीर्थयात्रियों को निर्बाध और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिल सके।
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