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Sawan Second Somvar 2022: सावन के दूसरे सोमवार में करें भोलेनाथ को खुश, घर में आयेगी खुशहाली, जानें व्रत की विधि और महत्व

नई दिल्ली: सावन के दूसरे सोमवार का व्रत आज है. सावन के दूसरे सोमवार पर बहुत ही अच्छे शुभ योग बन रहे है. आज सावन के व्रत के साथ ही प्रदोष व्रत भी है. सावन सोमवार के दिन प्रदोष व्रत होने से भगवान शिव की पूजा, आराधना का महत्व बढ़ जाता है. आपको बता दें कि सावन सोमवार के दिन भोलेबाबा पर जलाभिषेक करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं.

सावन का महीना शिवभक्तों के लिए बहुत ही विशेष होता है. इस माह में भगवान शिव की आराधना करने पर सबसे ज्यादा शुभ फल की प्राप्ति होती है. सावन में रुद्राभिषेक करने पर सभी तरह के ग्रह दोष और कष्टों से मुक्ति मिलती है.

सावन सोमवार के दिन इस विधि का प्रयोग करने से सोमवार के दिन जल्दी उठे और स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर पूजा का संकल्प लें. इसके बाद घर के पास स्थित शिवमंदिर जाकर भगवान गणेश की आराधना करें और शिवलिंग पर जल से अभिषेक करें. अभिषेक के दौरान शिवलिंग पर बिल्व पत्र, मदार, धतूरा और फल अर्पित करें.  इसके बाद मंत्र और आरती का पाठ करें. भोलेनाथ को भोग लगाकर ऊं नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें. शिव चालीसा का पाठ भी उत्तम माना जाता है.

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इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से आपके सभी कष्ट दूर होते है. महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव की स्तुति, साधना, जप ,तप और उन्हें प्रसन्न करने के अलावा गंभीर बीमारियों से निजात पाने, अकाल मृत्यु के डर से मुक्ति पाने में बहुत ही कारगर मंत्र माना जाता है.  

“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”

श्रावण मास के दूसरे सोमवार को आज शिवालयों और देवालयों में जलाभिषेक करने के लिए शिवभक्तों भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है. इसे देखते हुए हरिद्वार में प्रमुख मंदिरों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कुंवारी लड़कियां सावन सोमवार का व्रत रखती है. मनचाहे जीवनसाथी को पाने के लिए सावन में सोलह सोमवार व्रत शुरू करना चाहिए. ये व्रत विशेष मनोकामना पूर्ति के लिए होता है इसलिए इसे युवक और युवती दोनों कर सकते हैं.

पूजन सामाग्री

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि.  

सावन कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ: 25 जुलाई को शाम 04:15 से

सावन कृष्ण त्रयोदशी समाप्त: 26 जुलाई को शाम 06:46 बजे तक

प्रदोष काल: 25 जुलाई को 07:17 PM से 09:21 PM

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