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Padma Awards 2023: पद्म श्री मिलने के बाद शाह रशीद अहमद कादरी ने PM मोदी के लिये कही बड़ी बात, सुनकर मोदी ने जताया अभार..

Padma Awards 2023: शाह रशीद अहमद कादरी (Shah Rasheed Ahmed Quadri) को पद्म श्री से सम्मानित किया गया.पद्म श्री पाने के बाद रशीद अहमद कादरी (Shah Rasheed Ahmed Quadri) पीएम मोदी (PM Narendra Modi) से मिले और उनसे कहा, ‘आपने मुझे गलत साबित कर दिया.’ रशीद अहमद ने एक पांच सौ साल पुरानी कला को जीवित रखा है लेकिन ये उनके लिए आसान नहीं था. दरअसल कर्नाटक के बिदरी कलाकार शाह रशीद अहमद कादरी काफी सुर्खियों में आ गए है उन्हे पद्म श्री से नवाजा गया है। पद्म श्री से से नवाजे जाने के बाद बिदरी खुद को नही रोक पाए औऱ अपनी दिल की बात जाकर उन्होंने पीएम से कह दी जिसके बाद से बिदरी की दिल की बात सुन पीएम (PM) भी खुद को नही रोक पाए और हंसने लगे। बिदरी का पद्म श्री से नवाजें जाने की बात उतनी ट्रेंड नही हुई जितना कि उनके उनके और पीएम (PM) के बीच की बात ट्रेंड कर रही है साथ ही पूरे राजनितिक गलियारे में तैरनें रही हैं।

आपको बता दें कि सम्मान मिलने के बाद कादरी और पीएम की बातचीत का एक वीडियो सामने आया है जो काफी सुर्खियां बटोर रहा है। इस वीडियो में तो कादरी सबसे पहले पीएम सोदी को धन्यावाद देतें है। साथ ही उन्हें ये कहते हुए भी सुना जा सकता है कि कांग्रेस सम्मान में उन्हें पद्म सम्मान मिलने की उम्मीद थी। मुझे सिर्फ कांग्रेस की सरकार में ही सम्मान मिल सकता है। और बीजेपी सरकार में मुझे सम्मान नही दिया जाएगा और ना ही मुझे ऐसी कोई उम्मीद थी बीजेपी सरकार से कि वो मुझे सम्मान देगी ,लेकिन ये ऐसा नही हुआ औऱ पीएम ने इस बात को गलत साबित कर दिया है।कादरी की बात सुन पीएम मोदी भी बड़ी विनम्रता से हंसने लगतें हैं।तो यो रही कादरी और पीएम के बीच की दिल की बात जो बेहद ही सुर्खियों में है कादरी की बात सुन पीएम भी खुद को हसने से नही रोक पाए.

कौन हैं शाह रशीद अहमद कादरी ?

कर्नाटक के शिल्प गुरू शाह रशीद अहमद कादरी (Shah Rasheed Ahmed Quadri) ने 500 साल पुरानी बिदरी कला को ज़िन्दा रखा है. कर्नाटक के बिदर से निकली है बिदरी कला. यहां से निकलकर इस कला ने आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में भी पांव जमा लिए.बिदरी कला के जाने-माने परिवार से ताल्लुक रखते हैं रशीद कादरी. 1970 तक इस कला की तालीम पाने के बाद रशीद कादरी ने नक्काशी की कमान संभाली और कई तरह के इनोवेटिव डिज़ाइन और पैटर्न तैयार किए. बिदरी शिल्प कला को बचाए रखने और विकसित करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है.

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एक रिपोर्ट के अनुसार, बिदरी की शुरुआत फ़ारस में हुई लेकिन बिदरी कला भारतीय इनोवेशन है. कहते हैं सूफ़ी ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती बरतनों के ज़रिए ये कला भारत में लाए थे. इस नक्काशी की शुरुआत बाहमानी सुल्तानों के समय यानि 14वीं शताब्दी के आस-पास हुई. सुल्तान अहमद शाह बहमानी अपने महलों में नक्काशी करवाने के लिए अब्दुल्लाह बिन कैसर नामक कलाकार को भारत लाए थे. कुछ ऐतिहासिक लेखों के मुताबिक कैसर ने स्थानीय शिल्पकारों के साथ मिलकर शाही महल और दरबार में काम किया.इस कला को जीआई टैग भी दिया जा चुका है. बिदरी कला में ज़िंक और कॉपर से नया आकार दिया जाता है. हथौड़े से चांदी के पतले तारों को पीट-पीटकर कलाकारी की जाती है. बिदरी कला के नमूने देश के कई म्यूज़ियम में रखे हुए हैं. दिल्ली के नेशनल म्यूज़ियम, हैदराबाद के सलारगंज म्यूज़ियम और दिल्ली के लाल किले में इस कला के कई उदाहरण मिल जाएंगे.

रशीद को मिल चुके हैं कई सम्मान

रशीद कादरी को पद्म श्री से पहले भी कई सम्मान मिल चुके हैं. उन्हें स्टेरट अवॉर्ड (State Award) (1984), नेशनल अवॉर्ड (national award) (1988 ), कर्नाटक राज्य उत्सव पुरस्कार (1996) और द ग्रेट इंडियन अचीवर्स अवार्ड (Indian Achievers Award) (2004) से सम्मानित किया जा चुका है. देश ही नहीं विदेशों में भी उनकी कला हमेश चर्चा होती है. अपनी कला वो नीदरलैंड्स, बार्सेलोना, शिकागो, ओमान जैसे कई देशों में दिखा चुके हैं.रशीद का कहना है कि उन्होंने बचपन में इस कला के साथ खेले-कूदे हैं, इसी के साथ बड़े हुए हैं और इसी के साथ जी रहे हैं.रशीद को रोजी-रोटी कमाने के कई विकल्प मिले लेकिन उन्होंने इस कला का साथ छोडने से इनकार कर दिया और इस कला को जिंदा रखने के लिये हमेशा इससे जुड़ने का फैसला लिया.

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Team News Watch India

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