Hariyana News: हरियाणा का मेवात ,नूंह और इलाके अभी कुछ दिन पहले जी जल उठे थे। इसके पीछे की कहानी का आप जितना बखान करें इसका अंत कभी नहीं होगा। जब एक इंसान दूसरे इंसान के खिलाफ मन बना लेता है तो फिर उसकी दवा कही नहीं मिलती। लेकिन एक बात पर गौर करने की जरूरत है। जरूरत यह है कि जो लोग हिन्दू और मुस्लिम धर्म के नाम पर एक दूसरे क गाला काटने ,एक दूसरे को ख़त्म करने और एक दूसरे के खिलाफ विष वमन करने का खेल करते हैं क्या कभी वे यह सोंचते ऐन कि इससे उनको क्या लाभ हो रहा है ?उनके परिवर को की लभ हो रहा है ? और फिर इसी तरह उसके समाज और देश को क्या लाभ हो रहा है ?
यह सवाल इसलिए जरुरी है कि जो लोग ये काम करते हैं उन्हें अंधभक्त कहा जाता है और सही मायने में ऐसे लोग समाज के सबसे पिछड़े लोग होते हैं। उनकी न कोई शिक्षा होती है और न ही की चरित्र। इसके साथ ही जिन नेताओं के बहकाबे में ऐसे लोग काम करते हैं वह भी उन्हें पसंद नहीं करते। वे केवल प्रयोग करते हैं और काम निकलते ही उन्हें फेंक दिया जाता है। हिंसा करने वाले कभी यह सोचते हैं कि जिन नेताओं के कहने से वे ये सब कर रहे हैं उनके बाल बच्चे क्या करते हैं ? कहाँ रहते हैं और कहाँ पढ़ते हैं ? जिस दिन वे यह सब जान जाएंगे ,हिंसा की राजनीति कभी नहीं करेंगे।
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अब एक बार फिर से मेवात इलाके में ब्रज मंडल धार्मिक यात्रा की शुरुआत होने जा रही है। यह ायतार 28 अगस्त को निकाली जाएगी। इस यातर में वीएचपी भी हिस्सा लेगी। इस यात्रा से जुड़े नेताओं ने कहा है कि ब्रजमंडल धार्मिक यात्रा एक इतिहासिक यात्रा है जो 31 जुकी को हिंसा की वजह से अधूरी रह गई थी। अब इस यात्रा को पूरी की जाएगी। वीएचपी के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा है कि मेवात में यह यात्रा सर्व हिन्दू समाज द्वारा निकाली जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जी 20 आयोजन को देखते हुए और दंगाई पर पुलिस की कार्रवाई को भी देखते हुए आपस में विचार करके ही इस धार्मिक यात्रा के बारे में कोई निर्णय लिया जायेगा।
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कुल मिलाकर कहानी यह है फिर से मेवात में ब्रज मंडल धार्मिक यात्रा की शुरुआत होगी। बता दें कि किसी भी समाज में किसी भी धार्मिक यात्रा या जुलूस की कोई मनाही नहीं होती। जब समाज में प्रेम का वातावरण जुलूस और धार्मिक यात्रा और भी पवित्र हो जाता है। लेकिन मन में जब कोई खोट होती है तो थोड़ी सी बात भी चिंगरी हो जाती है। ब्रजमंडल की यात्रा से किसी को कोई ऐतराज नहीं हो सकता। लेकिन हर धार्मिक आदमी को दूसरे की भावना का भी ख्याल रखने की जरूरत होती ही। कोई भी िशव ,भगवान् या अल्लाह यह नहीं कहते हम बड़े हैं और हमरी ही पूज करो। सच तो यही है कि कोई भी ईशवर मानव समाज को नहीं कहता कि तुम हमरी पूजा करो। पूजा तो हम लोग करते हैं। अपनी शांति के लिए ,प्रेम के लिए और सामाजिक समरसता के लिए। यह समास्ता बनी रहे यही जरुरी है। ब्रजमंडल की धार्मिक यात्रा सफल होगी और समाज को प्रेम के धागे में बांध सकेगी यही अपेक्षा की जा सकती है।