Shri Krishana Katha: अपने धर्म के लिये बलिदान देना मानव का सर्वोच्च सौभाग्य- यति नरसिंहानंद गिरी जी
गाजियाबाद। शिवशक्ति धाम डासना में चल रहे 108 दिवसीय माँ बगलामुखी और सहस्त्र चण्डी महायज्ञ का बुधवार को 15वां दिन था। इस क्रम में श्रीमद्भगवद्गीता के आधार पर चल रही श्रीकृष्ण कथा में शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर व श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने धर्मयुद्ध की व्याख्या की है।
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने कहा कि भागवत में श्री कृष्ण ने कहा कि धर्मयुद्ध व अपने धर्म के लिये बलिदान देना मानव का सर्वोच्च सौभाग्य है। धर्मयुद्ध को प्रत्येक मानव का सर्वोच्च कर्तव्य बताया गया है। दूसरे अध्याय के दूसरे श्लोक में योगेश्वर अपने शिष्य और अनुयायी अर्जुन को बताते हैं कि जब धर्म और अधर्म में युद्ध अवश्यम्भावी हो जाता है तो धर्मयुद्ध को त्यागने का विचार कुत्सित माना जाता है ।कोई भी आर्य अर्थात श्रेष्ठ मानव कभी भी ऐसा नहीं कर सकता।
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नरसिंहानंद गिरी जी ने कहा कि धर्मयुद्ध का त्याग करने वाले को न तो कभी मोक्ष मिलता है और न ही स्वर्ग मिलता है।ऐसा करने वालों को हमेशा अपयश ही प्राप्त होता है।दूसरे अध्याय के ही 37 वें श्लोक के माध्यम से योगेश्वर बताते हैं कि धर्मयुद्ध में मारे जाने पर स्वर्ग और विजय प्राप्त करने धरती और धन संपदा प्राप्त होती है।इसीलिये प्रत्येक मानव को अपने हर प्रकार के मोह और संशय को त्याग कर धर्म के लिये युद्ध करना चाहिये।
उन्होंने यह भी बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता के 38 वें श्लोक के अनुसार लाभ हानि, जय, पराजय, जीवन मृत्यु और यश अपयश की चिंता किये बिना जो व्यक्ति धर्म के लिये लड़ता है, उसे कभी भी पाप नहीं लगता बल्कि उसे अनेक प्रकार के पुण्यों की प्राप्ति होती है।
इसके विपरीत जो मानव धर्मयुद्ध को त्याग कर कायरता और अकर्मण्यता को स्वीकार कर लेता है, उसकी इस लोक में तथा परलोक में हर प्रकार से दुर्गति हो जाती है। अतः हर मानव को अपने धर्म की रक्षा के लिये युद्ध करना ही चाहिये।जिस जाति या समुदाय के लोग अपने धर्म की रक्षा के लिये युद्ध लड़ना छोड़ देते हैं वह जाति या समाज उसी तरह नष्ट हो जाता है जैसे दुनिया के अधिकांश भाग से हिन्दू मिट गए हैं।
श्रीकृष्ण कथा में मुख्य यजमान श्रीमती शशि चौहान और सत्येंद्र चौहान ने विधिवत पूजा अर्चना की।बृजमोहन सिंह, संजीव तेवतिया, विनोद त्यागी, श्याम अरोड़ा,बाबू मंगल सिंह,अक्षय त्यागी, मुकेश त्यागी, अनिल यादव आदि उपस्थित थे।