Manipur Violence Latest Update: मणिपुर की हिंसा और निर्वस्त्र महिलाओं को परेड कराये जाने को लेकर मंगलवार 1 अगस्त काे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। राज्य और केंद्र सरकार के वकील भी सुनवाई के दौरान हाजिर हुए। कई तरह के आंकड़े पेश किये गए लेकिन शीर्ष अदालत ने मणिपुर (Manipur) में जो हुआ और जो हो रहा है उस पर गहरी चिंता जताई। सीजेआई ने कहा कि जांच काफी धीमी है। इसके बाद अदालत ने मणिपुर (Manipur) के डीजीपी को तलब किया और कहा वे चार तारीख को आकर सवालों का जवाब दें। अगली सुनवाई फिर सात अगस्त को होगी।
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सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि यह मामला चार मई का है और जीरों एफआईआर 16 मार्च को दर्ज की गई लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? इस पर एसजी ने कहा कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि जांच धीमी चलती रही। गिरफ्तारी के मामले में कोई प्रगति नहीं हुई। अब तो लोगों का कानून के प्रति विश्वास भी कम हो गया है। ऐसे में तो संविधानिक तंत्र पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। फिर अदालत ने पूछा की क्या मणिपुर पुलिस जांच करने में असमर्थ है? उन्होंने अपना नियंत्रण खो दिया है? वहां कोई कानून व्यवस्था नहीं है? अगर कानून व्यवस्था लोगों की रक्षा नहीं कर सकता तो आम लोगों का क्या होगा? इसके बाद सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार को एक बयान तैयार करने का भी निर्देश दिया जिसमें वह तारीख बताई जाए जब महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य की पुलिस इस मामले में जांच करने में अक्षम है। अदालत ने सवाल किया कि 6000 एफआईआर दर्ज की गई है और अभी तक मात्र सात गिरफ्तारियां हुई है। फिर इतना बोझ सीबीआई पर कैसे दिया जा सकता है? इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि हम इस मामले को गंभीरता से देख रहे हैं। सबको न्याय मिले इसके लिए पूर्व न्यायधीशों की एक समिति गठित करने पर भी अदालत विचार कर सकती है।