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Swabhiman Rally in Rishikesh: ऋषिकेश में स्वाभिमान महारैली, मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून की मांगों को लेकर जुटी हजारों की भीड

Swabhiman Rally in Rishikesh: Thousands of people gathered in Rishikesh for Swabhiman Maharally, demands for original residence 1950 and strong land law.

ऋषिकेश: उत्तराखंड में मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून लागू करने की मांगें दिनोंदिन जोर पकड़ती जा रही हैं। इसी सिलसिले में आज ऋषिकेश के आईडीपीएल हॉकी मैदान से त्रिवेणी घाट तक एक विशाल स्वाभिमान महारैली निकाली गई। इस महारैली में हजारों लोग शामिल हुए, जिनमें महिलाओं की भारी भागीदारी विशेष रूप से ध्यान खींचने वाली थी। महिलाएं पारंपरिक उत्तराखंडी वेशभूषा में प्रदर्शन करती नजर आईं, जो इस आंदोलन को सांस्कृतिक रंग भी दे रही थीं।

तीन प्रमुख मुद्दों पर जोर

महारैली में तीन मुख्य मुद्दों पर जोर दिया गया—1950 से मूल निवास प्रमाणपत्र लागू करने, सशक्त भू कानून बनाने, और राज्य में नशे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग। इन तीनों मुद्दों को लेकर लोग सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। राज्य में बढ़ते नशे के प्रचलन से चिंतित युवा वर्ग, महिलाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस रैली में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

महिलाओं की प्रमुख भूमिका

इस महारैली की खास बात यह रही कि बड़ी संख्या में महिलाएं पारंपरिक उत्तराखंडी परिधानों में शामिल हुईं। उन्होंने नारेबाजी करते हुए सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की आवाज उठाई। महिलाओं की इस भागीदारी ने रैली को एक सांस्कृतिक रूप भी दिया, जिसमें न केवल सामाजिक मुद्दे बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति और परंपरा का भी प्रतिबिंब नजर आया।

त्रिवेणी घाट पर पूजा और संकल्प

आईडीपीएल से शुरू हुई इस महारैली का समापन ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर हुआ। यहां पहुंचकर प्रदर्शनकारियों ने पूजा-अर्चना की और अपनी मांगों के समर्थन में संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। महारैली में शामिल लोगों ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगों को मान नहीं लेती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। इस अवसर पर कई वक्ताओं ने अपनी बात रखते हुए सरकार को चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

समाजसेवियों और वक्ताओं का योगदान

महारैली में शामिल समाजसेवी कुसुम जोशी ने बताया कि उत्तराखंड के लोगों की तीन प्रमुख मांगें—मूल निवास 1950, सशक्त भू कानून, और नशे पर प्रतिबंध—सभी जायज हैं, लेकिन सरकार अब तक इन पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि राज्य के विभिन्न शहरों में स्वाभिमान महारैली का आयोजन हो रहा है और ऋषिकेश में पहली बार इतनी बड़ी रैली का आयोजन कर धामी सरकार को चेतावनी दी गई है।

मनोज गुसाईं, जो कि इस आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं, ने कहा कि साल 1950 से मूल निवास प्रमाणपत्र की मांग काफी समय से चली आ रही है। साथ ही, उत्तराखंड के जल, जंगल, और जमीन को बचाने के लिए सशक्त भू कानून की भी आवश्यकता है। उन्होंने राज्य में बढ़ते नशे के प्रचलन पर भी चिंता जताई, जिसके कारण युवा पीढ़ी बर्बादी की ओर बढ़ रही है। गुसाईं ने कहा कि यह आंदोलन केवल उत्तराखंड के लोगों के स्वाभिमान और अस्तित्व की रक्षा के लिए है, और इसमें कोई राजनीतिक स्वार्थ नहीं है।

गैर-राजनीतिक रैली

स्वाभिमान महारैली को लेकर वक्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पूरी तरह से गैर-राजनीतिक आंदोलन है। इसमें किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं है, और सभी दलों के लोग इसमें एक आम नागरिक के रूप में शामिल हो रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कि यदि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो वे उग्र आंदोलन की ओर बढ़ सकते हैं।

Mansi Negi

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