जांजागीर-भोपा ( छत्तीसगढ)। दस वर्षीय बालक राहुल साहू का 80 फुट गहरे बोरवोल से105 घंटे बाद सकुशल निकालाना जाना निःसंदेह किसी चमत्कार से कम नहीं है, लेकिन यदि इस सारे मामले पर गौर दिया जाए तो राहुल की शारारिक कमजोरियां ही उसके जीवन के लिए वरदान साबित हुआ।
दरअसल राहुल को इतने गहरे गडढे में गिरने के बाद भी अपनी स्थिति के बारे में कोई डर नहीं हुआ, क्योंकि वह मानसिक रुप से कमजोर था, इसलिए उसे किसी तरह के खतरे का अहसास नहीं हुआ। यदि वह सामान्य बुद्धि वाला बच्चा होता तो बोरवेल में गिरने के कारण उसे अपनी जान जाने का भय होता तो उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता था और वह चिंता में बीमार हो सकता था, लेकिन अपनी स्थिति से बेखबर होन पर राहुल के व्यवहार और सोच में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। यहां तक बोरवेल में सांप और मेंढक होने से भी वह अंजान रहा।
आपको बता दें कि जांजागीर-भोपा जनपद के गांव पिहरीद में रहने वाले लाला साहू का दस साल को बेटा राहुल साहू मानसिक रुप से कमजोर है। इतना ही नहीं वह न तो बोल पाता है और न ही कुछ सुन पाता है। वह केवल इशारों की भाषा समझता है। शुक्रवार की दोपहर वह घर से बाहर चला गया था और पास के खेतों में बने 80 फुट गहरे बोरवोल में जा गिरा था।
एनडीआरएफ की टीम ने कई दिन तक अथक प्रयासों से करीब 105 घंटे बाद उसे सकुशल निकालने में सफलता पायी थी। राहुल को प्रशासन की ओर से उपचार के लिए बिलासपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इतने लंबे समय तक पानी में रहने के कारण उसे कई तरह के इंफेक्शन हो गये थे। लेकिन चिकित्सकों ने उसकी हालत खतरे से बाहर बतायी है।
उसे बोरवेल से निकालने के लिए चलाये गये आपरेशन के दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी मौके पर बराबर जमे रहे थे। राहुल साहू की सकुशल बोरवेल से निकाले जान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपने टिवटर से खुशी जाहिर करते हुए राहुल को निकालने के अभियान में जुटे सभी अधिकारियों कर्मचारियों और ग्रामीणों को बधाई दी है।