Sonam Wangchuk in Dehradun: स्मृति मंच से उठी लद्दाख की पुकार, सोनम वांगचुक बोले- बिना स्थानीय सहमति न हो विकास
देहरादून में आयोजित सुंदरलाल बहुगुणा स्मृति सम्मान समारोह में सोनम वांगचुक ने लद्दाख के संवैधानिक अधिकारों की पुरजोर वकालत की। उन्होंने छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने और स्थानीय भागीदारी से विकास की आवश्यकता जताई। 27 मई को केंद्र सरकार से संभावित वार्ता को लेकर उम्मीद जताई गई है।
Sonam Wangchuk in Dehradun: देहरादून नगर निगम के टाउन हॉल में रविवार को प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्म विभूषण स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा की चतुर्थ पुण्यतिथि पर एक स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान को याद किया गया और समाज को उनके सिद्धांतों से प्रेरणा लेने का संदेश दिया गया।
सोनम वांगचुक रहे समारोह के मुख्य अतिथि
लद्दाख के प्रख्यात पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए। उन्होंने बहुगुणा जी को पर्यावरण के लिए समर्पित एक महान योद्धा बताया और कहा कि उनकी सोच आने वाली पीढ़ियों को प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए प्रेरित करती रहेगी।
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लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग दोहराई
अपने संबोधन में सोनम वांगचुक ने लद्दाख क्षेत्र को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग दोहराई। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम स्थानीय लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और क्षेत्र के पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि बिना स्थानीय सहमति के बड़ी परियोजनाएं चलाई गईं, तो इससे पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर खतरा हो सकता है।
पूर्व में किए गए आंदोलनों का किया उल्लेख
सोनम वांगचुक ने बताया कि लद्दाख के लोगों ने पहले भी अपनी मांगों को लेकर बड़े आंदोलन किए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष लेह से दिल्ली तक मार्च निकाला गया था, जो एक महीने में पूरा हुआ था। इसके अलावा गांधी जयंती पर दिल्ली में शांतिपूर्ण अनशन भी किया गया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने बातचीत का प्रस्ताव दिया था।
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सरकार से फिर वार्ता की उम्मीद
उन्होंने बताया कि अब 27 मई को सरकार के साथ एक और दौर की बातचीत प्रस्तावित है। हालांकि यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि परिणाम क्या होंगे, फिर भी उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार सरकार ठोस समाधान की दिशा में पहल करेगी। उन्होंने कहा कि लद्दाख के लोग शांति चाहते हैं लेकिन अपने अधिकारों से समझौता नहीं करेंगे।
स्थायी विकास के लिए स्थानीय भागीदारी जरूरी
सोनम वांगचुक ने अपने भाषण में इस बात पर ज़ोर दिया कि विकास सिर्फ पांच सालों के लिए नहीं, बल्कि पीढ़ियों को ध्यान में रखकर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक विकास की योजनाओं में स्थानीय समुदाय को शामिल नहीं किया जाएगा, तब तक सतत विकास संभव नहीं है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि वह स्थानीय हितधारकों को निर्णय प्रक्रिया में भागीदार बनाए।
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कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने दिया एकता का संदेश
समारोह में उपस्थित गणमान्य नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवाओं ने एक स्वर में पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के अंत में सुंदरलाल बहुगुणा के योगदान को स्मरण करते हुए उनकी सोच को आगे बढ़ाने का आह्वान किया गया।
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