राजनीति

Wakf Board Bill: आज संसद में बिल पेश करेगी सरकार, जानें क्या होगें बदलाव

The government will present the bill in Parliament today, know what changes will be made

Wakf Board Bill: सरकार संसद में वक्फ से जुड़े दो कानून पेश करेगी। मुस्लिम वक्फ अधिनियम 1923 को एक ही बार में निरस्त कर दिया जाएगा। दूसरे बिक के जरिए वक्फ अधिनियम 1995 में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे।

 लोकसभा में आज यानि 8 अगस्त, गुरूवार को केंद्र सरकार के वक्फ बोर्ड बिल आज पेश होगा। लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति ने इस पर चर्चा की। संसद में इस पर चर्चा होने और बिल का पाठ जारी होने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय, मुस्लिम नेता और विपक्ष इस बिल को लेकर काफी नाराज हैं। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार संशोधित बिल के ज़रिए वक्फ बोर्ड के अधिकार और प्रतिष्ठा को कम करना चाहती है। माना जा रहा है कि सरकार इस बिल के ज़रिए पूरे देश में वक्फ बोर्ड की प्रक्रिया में जवाबदेही और पारदर्शिता लाने की कोशिश कर रही है। हालाँकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कहा है कि वह इस उपाय के मद्देनजर मौजूदा वक्फ कानून में किसी भी संशोधन को स्वीकार नहीं करेगा।

सूत्रों के मुताबिक, सरकार का मुख्य लक्ष्य सभी सदस्यों के समर्थन से इस बिल को सदन में पारित कराना और गरीब मुसलमानों, मुस्लिम महिलाओं और मुस्लिम अनाथों को न्याय दिलाना है। यदि सदन इस पर सहमत नहीं होता है तो प्रशासन इस बिल को अतिरिक्त विचार के लिए संयुक्त समिति को भी भेज सकता है। इस बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों पर अनधिकृत बस्तियों को खत्म करना है। भारतीय रेलवे और रक्षा विभाग के बाद, वक्फ बोर्ड के पास वर्तमान में देश में तीसरी सबसे बड़ी भूमि (चल और अचल दोनों) है। हालांकि, रक्षा और रेलमार्ग सरकार के हैं।

विवाद का कारण?

इस बिल पर असहमति का मुख्य कारण वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। दरअसल, देश में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। इनके बीच तालमेल के लिए केंद्र सरकार के अल्पसंयख्क मामलों के मंत्रालय की ओर से सेंट्रल वक्फ काउंसिल बनाया गया। यह वक्फ बोर्ड के संचालन से संबंधित मुद्दों पर केंद्र सरकार को सलाह देती है। 1995 में वक्फ अधिनियम में संशोधन किया गया और प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को वक्फ बोर्ड स्थापित करने का अधिकार दिया गया। वर्तमान में देश का वक्फ बोर्ड आठ लाख एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। साल 2009 में यह संपत्ति चार लाख एकड़ हुआ करती थी। इन जमीनों में ज्यादातर हिस्सों में मस्जिद, मदरसा और कब्रिस्तान हैं। दिसंबर 2022 तक वक्फ बोर्ड के पास कुल 8,65,644 अचल संपत्तियां थीं। अचल सपंत्ति के लिहाज से देखा जाए तो वक्फ बोर्ड देश में रेल व सेना के बाद तीसरे सबसे बड़े जमीन के मालिक हैं।

इन बदलाव की मांग

दरअसल, वक्फ बोर्ड अधिनियम में बदलाव किया गया था और उन्हें 2013 में यूपीए सरकार के दौरान अप्रतिबंधित अधिकार दिए गए थे। अभी तक, संपत्ति के विवादों को संघीय सरकार, राज्य सरकारों या यहां तक ​​कि अदालतों द्वारा भी हल नहीं किया जा सकता है। भूमि विवाद की स्थिति में, अपनी स्थिति साबित करना विरोधी पक्ष का काम है, न कि वक्फ बोर्ड का। बोर्ड को अपना मालिकाना हक साबित करने के लिए किसी तरह तरह का कोई सबूत या दस्तावेज नहीं देना होता। बिल लाने की वजह यह भी है कि इनके पास जितनी जमीन है और इनके द्वारा जो रेवेन्यु दिखाया जा रहा है, उनमें आपस में मेल नहीं दिखता। वक्फ बोर्ड महज साल का 200 करोड़ का राजस्व दिखाता है। इन्हीं बिंदुओं के चलते वक्फ बोर्ड के पास मौजूद इन असीम शक्तियों को लेकर कई ओर से विरोध के सुर उठते रहे। सच्चर समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता का उल्लेख किया है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यूपीए सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद, आम मुसलमानों, कम आय वाली मुस्लिम महिलाओं, तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के बच्चों और शिया और बोहरा समुदायों जैसे समुदायों के सदस्यों ने लंबे समय से मौजूदा कानूनी व्यवस्था में बदलाव की मांग की थी। इन व्यक्तियों का तर्क था कि केवल अमीर व्यक्तियों को ही वक्फ में जगह दी जाती है, जिससे आम मुसलमानों को कोई जगह नहीं मिलती।

Prachi Chaudhary

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