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The process of closing the doors of Badrinath Dham continues: बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने की प्रक्रिया जारी: ‘वैदिक पंच पूजा’ के साथ श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, 17 नवंबर को होंगे कपाट बंद

बदरीनाथ धाम में कपाट बंद होने की प्रक्रिया जारी: 'वैदिक पंच पूजा' के साथ श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, 17 नवंबर को होंगे कपाट बंद

The process of closing the doors of Badrinath Dham continues: चमोली: उत्तराखंड के पावन तीर्थ बदरीनाथ धाम में शीतकाल के आगमन के साथ ही कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस धार्मिक प्रक्रिया में ‘वैदिक पंच पूजा’ महत्वपूर्ण है, जिसके अंतर्गत धाम के विभिन्न मंदिरों के कपाट विधि-विधान से बंद किए जा रहे हैं। आज, इस प्रक्रिया का दूसरा दिन है, और इसके अंतर्गत आदि केदारेश्वर मंदिर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट भी विशेष पूजाओं के साथ बंद कर दिए जाएंगे।

अन्नकूट भोग का आयोजन


वैदिक पंच पूजा के दूसरे दिन विशेष धार्मिक आयोजन किए जा रहे हैं। बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी ने श्री आदि केदारेश्वर मंदिर में भगवान आदि केदारेश्वर को अन्नकूट का भोग अर्पित किया। इस अनुष्ठान में गरम चावल भगवान केदारेश्वर और उनके वाहन नंदी पर चारों ओर से लेपित किए जाते हैं। यह पूजा न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखती है। अन्नकूट भोग के बाद, विशेष मंत्रों और विधियों के साथ भगवान की पूजा की गई, जिससे मंदिर में एक अलौकिक और पवित्र वातावरण बन गया।

कपाट बंद होने की परंपरा

बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 17 नवंबर को बंद हो जाएंगे। इसके पहले, पंच पूजाओं के क्रम में बुधवार को पहले दिन गणेश जी के मंदिर के कपाट बंद किए गए। भगवान गणेश की सायंकालीन अभिषेक पूजा के साथ, उनके मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। वहीं, शुक्रवार 15 नवंबर को पंच पूजाओं के तीसरे दिन बदरीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में खड्ग पुस्तक बंद होने के बाद वेद ऋचाओं का वाचन भी बंद कर दिया जाएगा। यह अनुष्ठान श्रद्धालुओं और साधकों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह एक आध्यात्मिक अंतर्निहित परंपरा है जो शीतकाल के आगमन की प्रतीक मानी जाती है।

श्रद्धालुओं का अपार समर्थन


बदरीनाथ धाम में इस वर्ष श्रद्धालुओं का अपार समर्थन और भक्ति देखने को मिली। अब तक 13 लाख 91 हजार 124 श्रद्धालु भगवान बदरीविशाल के दर्शन कर चुके हैं, जो एक बड़ा आंकड़ा है। बदरीनाथ धाम में श्रद्धालु न केवल धार्मिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि वहां की प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और दिव्य ऊर्जा का अनुभव भी कर रहे हैं।

धार्मिक प्रक्रियाओं का अनुसरण


बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया में विशेष धार्मिक विधान का पालन किया जाता है। इस वैदिक पंच पूजा में हर पूजा, अनुष्ठान, और अन्नकूट भोग का आयोजन पूरे धाम को एक अद्वितीय आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है। शीतकाल के लिए भगवान आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, बदरीनाथ धाम के कपाट भी 17 नवंबर को विधिवत बंद कर दिए जाएंगे।

शीतकाल में बदरीनाथ धाम का समस्त धार्मिक कार्य जोशीमठ के निकट स्थित नृसिंह मंदिर में संपन्न किए जाते हैं। शीतकाल के दौरान भी भगवान बदरीविशाल की पूजा और आराधना नृसिंह मंदिर में अनवरत चलती रहती है, जहां भक्तगण जाकर दर्शन कर सकते हैं।

श्रद्धालुओं में उत्साह


बदरीनाथ धाम में इस धार्मिक प्रक्रिया को देखने के लिए श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। श्रद्धालु कपाट बंद होने से पहले भगवान बदरीविशाल के दर्शन करना चाहते हैं और इस दिव्य प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं।

बदरीनाथ धाम में पंच पूजाओं का यह क्रम हजारों साल से चला आ रहा है और हर साल इसे बड़ी धूमधाम और श्रद्धा के साथ संपन्न किया जाता है। यह पवित्र धार्मिक प्रक्रिया दर्शाती है कि कैसे सनातन परंपराएं और धार्मिक विश्वासों को पीढ़ियों से जीवित रखा गया है।

Mansi Negi

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