Caste Census News: संघ ने डेढ़ साल पहले दिए थे जाति जनगणना के संकेत, मोदी-भागवत की बैठक से लगी अंतिम मुहर
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी का प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा था, लेकिन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने जिस तरह से बीजेपी को नुकसान पहुंचाया, उससे बीजेपी और आरएसएस को गहरा झटका लगा था। इस नतीजे के बाद आरएसएस ने भी जाति जनगणना के समर्थन में आगे आने के संकेत दिए थे।
Caste Census News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बीच मंगलवार रात मुलाकात हुई और अगली सुबह बुधवार को जाति जनगणना को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। अब राजनीतिक गलियारों में चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि क्या केंद्र सरकार ने संघ की सहमति के बाद जाति जनगणना कराने का फैसला किया है? संघ प्रमुख भागवत ने मंगलवार रात पीएम मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। माना जा रहा है कि दोनों नेताओं की मुलाकात में जाति जनगणना पर चर्चा हुई।
पिछले साल 2 सितंबर को केरल के पलक्कड़ में हुई संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक के दौरान आरएसएस ने जाति जनगणना का समर्थन किया था। तब पलक्कड़ में हुई बैठक के बाद अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख संघ सुनील आंबेकर ने जाति जनगणना पर टीवी9 भारतवर्ष संवाददाता के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि जाति जनगणना राष्ट्रीय एकता के लिए महत्वपूर्ण है।
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सितंबर में आंबेकर ने क्या कहा था?
तब आंबेकर ने कहा था कि, “देश और समाज के विकास के लिए सरकार को आंकड़ों की जरूरत होती है। समाज की कुछ जातियों के लोगों पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इन उद्देश्यों के लिए इसे (जाति जनगणना) अवश्य कराया जाना चाहिए। हालांकि, इस जनगणना का इस्तेमाल जन कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। इसे राजनीतिक हथियार बनने से रोका जाना चाहिए।”
सुनील आंबेकर का यह बयान लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आया है। तब लोकसभा चुनाव में बीजेपी 400 सीटों का अपना लक्ष्य हासिल करने में विफल रही थी और वह सिर्फ 240 सीटें ही जीत पाई थी। इसका नतीजा यह हुआ कि 2024 में बीजेपी केंद्र में अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई और एनडीए के घटक दलों के साथ मिलकर सरकार बनाने में सफल रही।
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गाडगे के दिसंबर 2023 के बयान के बाद आरएसएस ने क्या कहा
इस चुनाव में जातिगत राजनीति के गढ़ माने जाने वाले बिहार में भाजपा का स्कोर अच्छा रहा, लेकिन उत्तर प्रदेश में जिस तरह से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया, उससे भाजपा और आरएसएस को गहरा धक्का लगा है। इस परिणाम के बाद आरएसएस ने भी जातिगत जनगणना के समर्थन में आगे आने के संकेत दिए थे।
इससे पहले आरएसएस जाति जनगणना के समर्थन में नहीं था। आंबेकर से पहले विदर्भ प्रांत प्रमुख श्रीधर गाडगे ने करीब डेढ़ साल पहले दिसंबर 2023 में नागपुर में जाति जनगणना को लेकर कहा था कि यह जनगणना एक निरर्थक कवायद साबित होगी, इससे सिर्फ चंद लोगों को फायदा होगा। उन्होंने कहा था, “इससे हमें कोई फायदा नहीं है, बल्कि नुकसान ही है। यही असमानता की जड़ है और इसे बढ़ावा देना ठीक नहीं है।” हालांकि गाडगे के बयान के बाद कांग्रेस यह बताने की कोशिश करने लगी कि संघ दलित और पिछड़ा विरोधी है।
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विपक्ष का बड़ा मुद्दा छिन गया
आरएसएस के सहसंघचालक श्रीधर गाडगे के बयान के बाद जाति जनगणना पर संघ के रुख को लेकर सवाल उठे थे, इस पर 22 दिसंबर 2023 को सुनील आंबेकर ने कहा था, जाति आधारित जनगणना का इस्तेमाल समाज के समग्र उत्थान के लिए किया जाना चाहिए। साथ ही इससे जुड़े लोगों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी कारण से सामाजिक सद्भाव और एकता में खलल न पड़े। जाति जनगणना को लेकर आंबेकर के इस बयान से संघ का रुख काफी हद तक साफ हो गया था।
माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने जाति जनगणना को एक झटके में मंजूरी दे दी है क्योंकि संघ के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद यह समझ लिया है कि देश की बहुसंख्य जनता इसके पक्ष में है। साथ ही केंद्र सरकार और भाजपा को यह भी लगता है कि जाति जनगणना के जरिए कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल हिंदू वोटों को बांटने में कहीं न कहीं सफल हो रहे हैं। इसलिए इसे लागू करके केंद्र सरकार ने विपक्ष से एक बड़ा मुद्दा भी छीन लिया है।
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