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महाराष्ट्र का ‘खूनी अस्पताल’ में थम नहीं रहा मौतों का सिलसिला, मासूमों ने खो दिए अपने…!

Maharashtra News : महाराष्ट्र के नांदेड़ में मौत का ‘तांडव’ हुआ। तांडव भी ऐसा कि जिसने इसको देखा, वो ही हक्का बक्का रह गया। जी हां एक तरफ तो महाराष्ट्र (Maharashtra) की सरकार बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के दावे करती है, लेकिन वहीं दूसरी ओर नांदेड़ में 30 से ज्यादा लोगों की मौत ने सवाल ख़ड़े कर दिए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर महाराष्ट्र (Maharashtra) के अस्पतालों में क्या हो रहा है? आखिर 30 से ज्यादा लोगों की मौत कैसे हो गई।

The sequence of deaths is not stopping in the 'bloody hospital' of Maharashtra

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48 घंटे…30 से ज्यादा लोगों की मौत

दरअसल, महाराष्ट्र (Maharashtra) के नांदेड़ में शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 24 मौत हुईं, जिसके बाद 2 अक्टूबर को 7 और लोगों ने दम तोड़ दिया। यानी की 36 घंटे के अंदर 31 लोगों की मौत हो गई। बस फिर क्या था, महाराष्ट्र में हड़कंप मच गया। नेता राजनेता अपनी अपनी राजनीति चमकाने में लग गए। राहुल गांधी से लेकर विपक्ष के तमाम नेताओं ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार पर जमकर हमला बोला। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने बताया कि मरने वाले 7 मरीजों में 4 बच्चे हैं।

36 घंटे…31 मौत, जिम्मेदार कौन ?

बता दें कि अस्पताल प्रशासन ने बताया था कि 30 सितंबर की रात 12 बजे से 1 अक्टूबर रात 12 बजे के बीच 24 लोगों की जान गई है। जान गंवाने वालों में 12 बच्चे, 7 महिलाएं और 5 पुरुष शामिल हैं। अस्पताल में 500 बेड की व्यवस्था है, लेकिन 1200 मरीज भर्ती हैं। इनमें 70 मरीजों की हालत अभी भी गंभीर है। पिछले 48 घंटे में हुई 30 ज्यादा मौतों ने राज्य की शिंदे सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दल के नेता सीधे सीधे इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) से लेकर यहां के डॉक्टरों के कामकाज पर सवाल उठाए हैं और दावा किया कि पिछले एक साल में ही हालात बदतर हुए हैं, पहले तो सब अच्छा था।

दवा की कमी या प्रशासन लापरवाह ?

दरअसल, 30 से ज्यादा मौतों के लिए बताया जा रहा है कि अस्पताल में दवाओं की कमीं हो गई थी। बता दें कि दवा की कमी से लेकर प्रबंधन की नाकामी तक के दावों के बीच नांदेड़ और संभाजीनगर दोनों जगहों से अस्पताल प्रशासन का बयान आया है।औरंगाबाद के सरकारी अस्पताल के डीन का दावा है कि उनके अस्पताल में कई मरीज तो ऐसे आते हैं जिन्हें बचाना बहुत मुश्किल था। यानी की संदेश साफ है, कोई भी अपनी लापरवाही मानने को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी ओर नांदेड़ के सरकारी अस्पताल के डीन का कहना है कि जो भी मौतें हुई हैं, वो किसी एक वजह से नहीं हुई हैं। इनके लिए अलग अलग वजह जिम्मेदार हैं।

अधिकारियों के अलग-अलग दावे !

आपको बता दें कि सरकारी अस्पतालों के अधिकारियों के अपने अलग अलग दावे हैं।लेकिन 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाना कोई मामूली बात नहीं है। सूत्रों के मुताबिक संभाजीनजर के अस्पातल में सिर्फ 15 दिन की ही दवा बची है, जिससे की सवाल खड़े हो रहे हैं।

मौत पर सियासत करते नेता…!

महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक अस्पताल में अचानक बढ़ते मौत के आंकड़ों के बीच सियासी सवाल उठ रहे हैं। अस्पताल प्रशासन के दावे अलग हैं, लेकिन विपक्ष के नेताओं का कुछ और ही कहना है।30 लोगों की मौत पर महाराष्ट्र में जमकर सियासत हो रही है। पक्ष और विपक्ष के नेता एक दूसरे पर जमकर वार-पलटवार कर रहे हैं। कांग्रेस ने दवा की कमी की बात को मुद्दा बनाया है। राहुल गांधी से लेकर तमाम विपक्ष के नेताओं ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को घेराय़ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार नहीं चल रही है, बल्कि यहां लूट मची है।

लापरवाही भारी…कब होगी कार्ऱवाई ?

महाराष्ट्र के नेता और अस्पताल प्रशासन अपनी सुविधा के मुताबिक बयान दे रहे हैं। कोई इसकी वजह पर सफाई दे रहा है। कोई बदइंतजा पर सवाल उठा रहा है तो कोई सियासत चमका रहा है। किसी ने भी उनके बारे में नहीं सोचा जिसने अपने बच्चों या मां बाप को खो दिया है। महाराष्ट्र के इन अस्पतालों में हुई ये मौतें चौंकाने वाली हैं। महाराष्ट्र सरकार की ओर से नांदेड में 3 डॉक्टरों की कमेटी पहुंच गई है। शायद इन्हें अप्रत्याशित मौतों की ठोस वजह मिल जाए।

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