Sunil Shetty: इतिहास में दबे असली वीरों की गाथाएं जिनकी गूंज आज भी हमारी मिट्टी में है।
हमारे देश की इतिहास की किताबों में अक्सर मुगलों और अंग्रेजों की गौरवगाथाएं विस्तार से पढ़ाई जाती हैं। बाबर, अकबर, शाहजहां, औरंगज़ेब से लेकर लॉर्ड क्लाइव और लॉर्ड माउंटबेटन तक की कहानियाँ हमें बार-बार सुनाई जाती हैं।
Sunil Shetty: हमारे देश की इतिहास की किताबों में अक्सर मुगलों और अंग्रेजों की गौरवगाथाएं विस्तार से पढ़ाई जाती हैं। बाबर, अकबर, शाहजहां, औरंगज़ेब से लेकर लॉर्ड क्लाइव और लॉर्ड माउंटबेटन तक की कहानियाँ हमें बार-बार सुनाई जाती हैं। उनकी नीतियों, शासन, और स्थापत्य कला को इतना महत्त्व दिया जाता है कि भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम के नायकों की छवि कहीं धुंधली हो जाती है।
असली वीरों की अनदेखी
इतिहास केवल सत्ता और शासन की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन असली नायकों की भी कहानी है जिन्होंने अपने खून से मिट्टी को सींचा। छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, वीर कुंवर सिंह – ये सब वीरता के ऐसे प्रतीक हैं जिनकी कहानियां किसी भी राजा-महाराजा से कम नहीं। फिर भी, हमें उनके बारे में कुछ ही अध्यायों में पढ़ाया गया, और वो भी बेहद सीमित दृष्टिकोण से।
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शिक्षा प्रणाली का पक्षपात
अंग्रेजों ने भारत में शिक्षा व्यवस्था इस तरह स्थापित की कि भारतीय विद्यार्थियों को अपनी मातृभूमि की महिमा और गौरव का कम और अंग्रेजी शासन की “सभ्यता” का ज्यादा बखान सुनाया गया। इसी कारण स्वतंत्रता संग्राम की असली प्रेरणाएं और भारतीय संस्कृति के मूल वीरों की गाथा हमारी किताबों में गौण बन गईं।
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अब बदलाव का समय है
आज आवश्यकता है कि हम इतिहास को सिर्फ सत्ता और शासन की कहानी मानकर न देखें, बल्कि उन अनकहे नायकों की गाथाओं को सामने लाएं जिन्होंने न केवल विदेशी आक्रांताओं से लड़ा, बल्कि भारतीय संस्कृति और स्वतंत्रता की नींव मजबूत की। नई पीढ़ी को यह जानना चाहिए कि महाराणा प्रताप का हल्दीघाटी का संग्राम, छत्रपति शिवाजी का स्वराज्य आंदोलन, और रानी लक्ष्मीबाई की वीरता भारतीय स्वाभिमान के अद्भुत उदाहरण हैं।
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इतिहास केवल विजेताओं की कहानी नहीं, बल्कि उन वीरों की अमर कथा है जिन्होंने अपनी मातृभूमि और अस्मिता की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी। हमें अब अपनी शिक्षा व्यवस्था में संतुलन लाना होगा ताकि अंग्रेजों और मुगलों की तरह हमारे असली वीरों की गाथाएं भी गर्व से पढ़ाई जाएं और नई पीढ़ी को उनके शौर्य और बलिदान की प्रेरणा मिले।
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