NATIONAL BIRD DAY 2025: दुनिया की रहस्यमयी पक्षी हिमालयन क्वेल का उत्तराखंड से गहरा नाता, 150 सालों से संग्रहालयों में सुरक्षित है नमूने
NATIONAL BIRD DAY 2025: उत्तराखंड की समृद्ध जैव विविधता में हिमालयन क्वेल का गहरा नाता रहा है, लेकिन यह दुर्लभ पक्षी अब राज्य की वादियों में दिखाई नहीं देता। करीब 150 साल पहले उत्तराखंड के मसूरी और नैनीताल क्षेत्रों में आखिरी बार देखी गई हिमालयन क्वेल आज भी वैज्ञानिकों और पक्षी विशेषज्ञों के लिए एक रहस्य बनी हुई है। इस पक्षी के कुछ नमूने अब भी संग्रहालयों में सुरक्षित हैं, जो इसकी विलुप्ति की आशंकाओं के बावजूद इसके अस्तित्व की संभावनाओं को बनाए रखते हैं। नेशनल बर्ड डे 2025 के मौके पर इस पक्षी की अनोखी कहानी जैव विविधता संरक्षण के महत्व को रेखांकित करती है।
NATIONAL BIRD DAY 2025 : हिमालय की वादियों में बसे उत्तराखंड ने दुनिया को अनगिनत प्राकृतिक खजाने दिए हैं। इन्हीं में से एक है हिमालयन क्वेल (Himalayan Quail), एक रहस्यमयी पक्षी जिसकी गूंज पिछले 150 सालों से वैज्ञानिकों और पक्षी विशेषज्ञों के बीच कायम है। यह पक्षी आखिरी बार 1876 में उत्तराखंड की वादियों में देखा गया था। तब से यह पक्षी एक मिस्ट्री बना हुआ है। लेकिन बड़ी बात यह है कि यह अद्वितीय पक्षी सिर्फ उत्तराखंड में ही पाया गया और आज भी इसे गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
हिमालयन क्वेल: एक अद्भुत रहस्य
हिमालयन क्वेल दुनिया के लिए एक पहेली बनी हुई है। यह पक्षी आखिरी बार मसूरी और नैनीताल के जंगलों में देखा गया था। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने इस पक्षी को ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ प्रजाति का दर्जा दिया है। हालांकि, इसे अभी तक विलुप्त घोषित नहीं किया गया है, क्योंकि इसकी धरती पर मौजूदगी की संभावना को पूरी तरह नकारा नहीं गया है।
इस पक्षी को लेकर कई बार सर्वे और अनुसंधान किए गए हैं, लेकिन आज तक इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाया। दुनिया के संग्रहालयों में हिमालयन क्वेल के कुछ नमूने सुरक्षित हैं, जिनके आधार पर वैज्ञानिक इसकी संरचना और जीवनशैली का अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं।
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उत्तराखंड: पक्षियों का अद्भुत संसार
उत्तराखंड जैव विविधता से भरपूर राज्य है। देशभर में पक्षियों की 1,360 प्रजातियां रिकॉर्ड की गई हैं, जिनमें से 729 प्रजातियां उत्तराखंड में पाई जाती हैं। यानी भारत में मिलने वाली पक्षियों की आधे से अधिक प्रजातियां उत्तराखंड की वादियों में विचरण करती हैं। यह राज्य पक्षियों के लिए एक सुरक्षित और अनुकूलd आवास प्रदान करता है।
हिमालयन क्वेल को ढूंढना क्यों है मुश्किल?
हिमालयन क्वेल का निवास स्थान मुख्य रूप से घास के मैदान और ढलानों वाली जगहें मानी जाती हैं। पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि यह पक्षी छिपकर रहना पसंद करता है, जिससे इसे देख पाना और पहचान पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, यह पक्षी ऊंचाई वाले कठिन और दुर्गम क्षेत्रों में रहता है, जहां सर्वेक्षण करना आसान नहीं होता।
देश के प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञ धनंकानूनी मोहन बताते हैं कि हिमालयन क्वेल के संभावित आवास ढंगारी पहाड़ी क्षेत्रों में हैं, जहां पहुंच पाना कठिन है। यही कारण है कि इसे देखे जाने का संभावना बहुत कम होती है।
संभावित कारण: क्यों संकट में है हिमालयन क्वेल?
पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयन क्वेल के संकट में आने के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:
- प्राकृतिक प्रवास (Migration): हो सकता है कि यह पक्षी माइग्रेटरी प्रजाति हो और अपने मूल आवास सेt पलायन कर चुका हो।
- प्रजनन क्षेत्र में समस्या: इसके ब्रीडिंग क्षेत्र में पर्यावरणीय बदलाव या अन्य समस्याएं इसकी संख्या घटने का कारण हो सकती हैं।
- शिकार: 19वीं सदी में पक्षियों के शिकार का चलन आम था। यह संभव है कि इस प्रजाति के बड़े पैमाने पर शिकार के कारण इनकी संख्या में भारी कमी आई हो।
- प्राकृतिक आपदा: हिमालयन क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं भी इस पक्षी की संख्या पर प्रभाव डाल सकती हैं।
संग्रहालयों में सुरक्षित है हिमालयन क्वेल के नमूने
दुनिया के कुछ संग्रहालयों में हिमालयन क्वेल के नमूने सुरक्षित हैं। इन्हीं नमूनों के आधार पर इस पक्षी की तस्वीरें बनाई गई हैं। वैज्ञानिक इन नमूनों का उपयोग इसके डीएनए और अन्य संरचनात्मक पहलुओं का अध्ययन करने के लिए कर रहे हैं।
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उत्तराखंड में पक्षियों की बढ़ती प्रजातियां
पिछले कुछ वर्षों में उत्तराखंड में पक्षियों की नई प्रजातियों की खोज हुई है। 2003 में जहां 623 प्रजातियां चिन्हित की गई थीं, वहीं आज यह संख्या बढ़कर 729 हो गई है। बर्ड वॉचिंग और पक्षी विज्ञान में बढ़ी हुई गतिविधियों के कारण कई नई प्रजातियों को रिकॉर्ड किया गया है।
हिमालयन क्वेल की खोज जारी
राष्ट्रीय पक्षी दिवस पर हिमालयन क्वेल की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि जैव विविधता को बचाना कितना महत्वपूर्ण है। दुनिया के पक्षी प्रेमी और विशेषज्ञ इस रहस्यमयी पक्षी की खोज में जुटे हैं।
हो सकता है कि आने वाले समय में हिमालयन क्वेल एक बार फिर उत्तराखंड की वादियों में उड़ता नजर आए, और यह रहस्य हमेशा के लिए सुलझ जाए।
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