Hathras Hadsa: ‘अंधभक्तों’ की देश में कमी नहीं, मौतों का जिम्मेदार जनता या बाबा?
Hathras Hadsa: कहते हैं कि आस्था और अंधविश्वास में एक बारीक सी लकीर होती है और जब ये लकीर पार होती है तो आस्था अंधविश्वास में बदल जाती है। हाथरस मामले में भी ऐसा ही हुआ, जहां अंधविश्वास की वजह से लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि को उनके भक्त भगवान मानते हैं, उनको परमात्मा का दर्जा दिया गया है, भक्तों का ऐसा मानना है कि साकार हरि ने ही संसार का निर्माण किया और उन्होंने ने ही लोगों को बनाया।
अंधविश्वास की हद तो ये थी कि साकार हरि के भक्त मंदिर नहीं जाते थे क्योंकि बाबा ने उन्हें ऐसा करने से मना किया था, वहीं जिन लोगों की हादसे में मौत हुई उसे परमात्मा की इच्छा बताया। लोगों पर अंधविश्वास इस कदर हावी था कि वो डॉक्टर के पास इलाज कराने नहीं जाते थे क्योंकि उन्हें सूरज पाल के चमत्कार पर विश्वास था।।वहीं कई लोग ऐसे भी मिले जो हर महीने एक हफ्ते तक आश्रम में रहते थे और अपनी बीमारी को दूर होने का दावा भी किया।
सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि के आश्रम के बाहर 10 हैंडपम्प लगे हैं और अंधविश्वास में डूबे लोगों का ऐसा दावा है कि जो लोग बाबा का नाम लेकर इन हैंडपेम्प से पानी पीते हैं वो चमत्कारी रूप से हर बीमारी से ठीक हो जाते हैं।
एटा के बहादुर नगर गांव में जहां बाबा के आश्रम में दरबार लगता है वहां भी अंधे भक्तों को हैंडपम्प का पानी समागम में बांटा जाता था। आश्रम के बाहर लगे हैंडपम्प से पानी पीने के लिए बाबा के भक्तों की लंबी कतार लगती थी क्योंकि ऐसा माना जाता था कि अगर इस हैंडपम्प से पानी पी लिया तो बीमारी के साथ उनके जीवन की हर समस्या दूर हो जाएगी। बाबा के पाखंड का आलम ये था कि वो अपने आप को भगवान विष्णु बताता था, लोगों की आंखों में धूल झोंकने के लिए उसने कई ऐसी तस्वीरें भी बनवाई थीं और उसके अंधे भक्त इन तस्वीरों की पूजा भी करते थे।