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Air India Flight News Updates: एयर इंडिया की फ्लाइट में टॉयलेट चोक होने से अफरा-तफरी, जानिए हवाई जहाज में कैसी होती है व्यवस्था

शिकागो से दिल्ली जा रहे एयर इंडिया के विमान को टॉयलेट जाम होने के कारण शिकागो वापस लौटना पड़ा। पाइपलाइन पॉलीथीन बैग और कपड़ों के टुकड़ों के कारण जाम हो गई थी। यह आपातकालीन लैंडिंग 10 घंटे से अधिक की उड़ान के बाद हुई।

Air India Flight News Updates: एयर इंडिया की एक फ्लाइट में टॉयलेट जाम होने की वजह से हंगामा मच गया। यह फ्लाइट शिकागो से दिल्ली जा रही थी। इस घटना पर एयर इंडिया ने कहा कि उसकी जांच में पता चला है कि पानी में पॉलीथीन बैग और कपड़े के टुकड़े बह गए थे जो पाइपलाइन में फंस गए।

शिकागो से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट एआई 126 को 6 मार्च को 10 घंटे से ज़्यादा समय तक आसमान में रहने के बाद वापस लौटना पड़ा। हालांकि, उस दिन एयरलाइन ने कहा था कि तकनीकी समस्या के कारण विमान को वापस लौटना पड़ा। उस दिन के घटनाक्रम से वाकिफ़ एक सूत्र ने मीडिया को बताया कि विमान को वापस लौटना पड़ा क्योंकि कई शौचालय जाम हो गए थे।

एयर इंडिया ने सोमवार को बताया कि उड़ान के करीब एक घंटे पैंतालीस मिनट बाद क्रू ने बताया कि बिजनेस और इकोनॉमी क्लास के कुछ शौचालय जाम हो गए हैं। बयान में कहा गया, “इसके बाद विमान के 12 में से आठ शौचालय अवरुद्ध हो गए, जिससे विमान में सवार सभी यात्रियों को असुविधा हुई।”

पढ़े : फ्लाइट में बम… टॉयलेट में मिला ऐसा नोट, न्यूयॉर्क जा रहा विमान वापस मुंबई लौटा

एयर इंडिया ने कहा कि जब विमान को वापस बुलाने का फैसला लिया गया, तब वह अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ रहा था, कुछ यूरोपीय शहरों से चूक गया, जहाँ विमान को वापस भेजा जा सकता था।

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कैसे होते हैं जहाजों पर शौचालय?

हवाई जहाज के शौचालय छोटे, कॉम्पैक्ट और विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए होते हैं ताकि वे उच्च ऊँचाई पर भी ठीक से काम कर सकें। वे बहुत छोटे होते हैं। उनका आकार आमतौर पर लगभग 3×3 फीट होता है। उनमें एक टॉयलेट सीट, एक छोटा सिंक और टिशू पेपर जैसी आवश्यक वस्तुएँ होती हैं।

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इनमें वैक्यूम फ्लश सिस्टम होता है, जो पानी के बजाय हवा के दबाव से काम करता है। जब आप फ्लश बटन दबाते हैं, तो वैक्यूम पंप तेज़ी से कचरे को चूसता है और उसे नीचे स्टोरेज टैंक में भेज देता है। इससे पानी की खपत बहुत कम हो जाती है। लगभग आधा लीटर प्रति फ्लश।

कहाँ जाता है कचरा?

सारा कचरा विमान के पिछले हिस्से में एक खास टैंक में जमा होता है, जिसे उड़ान के बाद ग्राउंड क्रू खाली कर देता है। पुरानी मिथक के विपरीत, यह कचरा हवा में नहीं गिराया जाता। 35,000 फीट की ऊंचाई पर हवा का दबाव कम होता है, इसलिए वैक्यूम सिस्टम जरूरी है। साथ ही, शौचालय में सफाई बनाए रखने के लिए एंटी-बैक्टीरियल कोटिंग होती है। दरवाजे पर लॉक सिस्टम है और बाहर ऑक्यूपाइड लाइट जलती रहती है। आपातकालीन स्थिति में क्रू बाहर से दरवाजा खोल सकता है।

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Written By। Chanchal Gole। National Desk। Delhi

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