Dehradun Health Monitoring: देहरादून में डेंगू का खतरा बढ़ा, स्वास्थ्य विभाग सतर्क, नारियल के खोल बने चिंता का कारण
देहरादून में डेंगू के मामलों में वृद्धि की आशंका, नारियल के खोल बने खतरे की वजह। स्वास्थ्य विभाग ने जांच दर तय की और अस्पतालों को अलर्ट पर रखा।
Dehradun Health Monitoring: देहरादून में हाल की बारिश के बाद डेंगू के मामलों में संभावित वृद्धि को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। अब तक 45 डेंगू संक्रमित मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 26 मरीज देहरादून के हैं, जबकि 19 मरीज बाहर के जिलों या राज्यों से संबंधित पाए गए हैं। फिलहाल, शहर के अलग-अलग अस्पतालों में 11 मरीजों का उपचार जारी है।
डेंगू नियंत्रण के लिए जिम्मेदार नोडल अधिकारी डॉ. सीएस रावत ने बताया कि सभी निजी और सरकारी लैब्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे डेंगू की जांच निर्धारित दरों पर करें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि पैथोलॉजी केंद्र अपने जांच शुल्क को साफ-साफ प्रदर्शित करें, जिससे मरीजों से अधिक शुल्क न वसूला जाए।
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जांच शुल्क में पारदर्शिता अनिवार्य
स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू की जांच को लेकर सभी लैब्स के लिए जांच शुल्क निर्धारित किए हैं। NABL प्रमाणित लैब्स में NS1 टेस्ट के लिए ₹500 और ELISA टेस्ट के लिए ₹1000 तय किए गए हैं। वहीं गैर-NABL लैब्स में यही जांच ₹1100 में की जाएगी। विभाग ने यह भी कहा है कि जांच केंद्रों पर स्पष्ट रेट लिस्ट चस्पा की जाए।
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नारियल पानी के खोल बने लार्वा पनपने का कारण
गर्मी में डेंगू फैलने के प्रमुख कारणों में एक नारियल पानी के खोल भी माने जा रहे हैं। आमतौर पर नारियल पीने के बाद लोग इसके खोल को खुले में फेंक देते हैं, जिनमें बारिश का पानी जमा हो जाता है। ये खोल डेंगू मच्छरों के लार्वा के लिए अनुकूल जगह बन जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग ने अब नारियल पानी विक्रेताओं पर भी नजर रखने का फैसला लिया है।
डॉ. रावत के अनुसार, खुले में पड़े नारियल के खोलों में पानी जमा होने से डेंगू का लार्वा तेजी से पनप सकता है। इसलिए विक्रेताओं को चेतावनी दी जाएगी कि वे खोलों को नष्ट करने या सुरक्षित तरीके से निपटाने की व्यवस्था करें।
खोलों का सुरक्षित निपटान जरूरी
विभाग की योजना है कि नारियल के खोल या तो गड्ढों में दबाए जाएं या फिर उन्हें जलाकर नष्ट किया जाए। जले हुए खोल खाद के रूप में भी उपयोगी होते हैं। विभाग की टीमें सुनिश्चित करेंगी कि कोई भी विक्रेता खोल सड़कों या सार्वजनिक स्थलों पर न फेंके।
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अस्पतालों में डेंगू मरीजों के लिए विशेष व्यवस्था
संभावित मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सभी अस्पतालों को अपने कुल बेड्स में से 10% बेड डेंगू मरीजों के लिए आरक्षित रखने को कहा गया है। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संक्रमण बढ़ने पर इलाज में कोई बाधा न आए।
डोर-टू-डोर सर्वे और जागरूकता
अब तक शहर में 21,000 से अधिक घरों का निरीक्षण किया जा चुका है, जिनमें 24 घरों में डेंगू के लार्वा मिले हैं। 66 से अधिक घरों में मच्छरों के पनपने की स्थिति पाई गई। विभाग अब इन इलाकों में साफ-सफाई और जागरूकता अभियान भी चला रहा है।
लोगों से सहयोग की अपील
डॉ. रावत ने जनता से अपील की है कि वे अपने घरों में पानी एकत्र न होने दें, कूलर, गमले, टायर जैसी जगहों को नियमित रूप से खाली और साफ करें। अगर तेज बुखार, शरीर में दर्द या चकत्ते जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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