New Criminal Laws: बिहार समेत पूरे देश में आधी रात के बाद तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए। ये कानून हैं- भारतीय न्याय संहिता, (बीएनएस), 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023। इसके लिए बिहार पुलिस मुख्यालय की ओर से राज्य के 25 हजार पुलिसकर्मियों को नए कानूनों की ट्रेनिंग दी गई है।
बिहार के हर थाना परिसर में आज (सोमवार) कार्यक्रम आयोजित कर तीनों नए आपराधिक कानूनों की जानकारी दी जाएगी। इसके लिए स्थानीय नागरिकों को आमंत्रित कर कानून की विशेषताएं बताई जाएंगी। बड़े बदलावों को लेकर थानों को एक पुस्तिका उपलब्ध कराई गई है। थानाध्यक्ष इसे आमंत्रित नागरिकों के बीच उपलब्ध कराएंगे। पुलिस पदाधिकारियों को पुराने कानून से नए कानून में हुए बदलावों, पुराने कानून की धाराओं और नए कानून का तुलनात्मक चार्ट दिया गया है। वहीं अनुसंधानकर्ताओं के लिए अलग से जानकारी दी गई है। प्रशिक्षण के दौरान फोरेंसिक साइंस विशेषज्ञों द्वारा गंभीर अपराध के घटनास्थल पर उपलब्ध वैज्ञानिक साक्ष्यों को एकत्र करने, वीडियोग्राफी, फोटोग्राफी की जानकारी दी गई है। मोबाइल, सोशल मीडिया, इंटरनेट आदि के बढ़ते प्रयोग के कारण इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य एकत्र करने और उसे न्यायालय में प्रस्तुत करने की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) पर भी प्रशिक्षण दिया गया है।
हत्या, डकैती, चोरी समेत अन्य धाराओं में बदलाव किया गया
भारतीय दंड संहिता में अपराध की 23 अध्याय और 511 धाराएं थीं। लेकिन इसके स्थान पर लागू भारतीय दंड संहिता 2023 में 20 अध्याय और 358 धाराएं शामिल हैं। भारतीय दंड संहिता में कई धाराओं को खत्म कर दिया गया है और कई अपराधों और दंड के प्रावधान जोड़े गए हैं। हत्या, डकैती, चोरी, बलात्कार, छेड़छाड़, नाबालिग का अपहरण, दहेज हत्या, धोखाधड़ी, जबरन वसूली समेत कई अपराधों की धाराओं में बदलाव किया गया है। नए कानून में डिजिटल साक्ष्य के साथ ही तलाशी जब्ती की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य कर दी गई है। अब हत्या के लिए 302 की जगह धारा 103, हत्या के प्रयास के लिए 307 की जगह धारा 109, बलात्कार के लिए धारा 376 की जगह धारा 64 और चोरी के लिए धारा 379 की जगह धारा 303 (2) के तहत कार्रवाई की जाएगी।
वकीलों को भी नए कानून की जानकारी दी जाएगी।
न्यायिक क्षेत्र के लोगों को एक जुलाई से लागू होने जा रहे तीन नए कानूनों की समुचित जानकारी देने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है। इसके तहत प्रमंडल से लेकर जिला, अनुमंडल से लेकर अन्य स्तर के न्यायाधीशों के अलावा लोक अभियोजक, अपर लोक अभियोजक, न्यायिक पदाधिकारी व सरकारी वकीलों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य में इनकी संख्या सात से नौ हजार है। इनके लिए प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की जा रही है। ऐसी कार्यशालाएं ऑनलाइन भी आयोजित करने की योजना है। विधि विभाग के स्तर पर पूरी व्यवस्था की गई है। नए कानून को लेकर 27 व 28 जुलाई को पटना के बापू सभागार में राज्यस्तरीय कार्यशाला होगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट के न्यायाधीश, डीएम समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे।
गंभीर अपराध होने पर एफएसएल टीम मौके पर जाएगी
पटना के डीआईजी सह वरीय पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्रा ने बताया कि एक जुलाई से लागू होने वाले नए आपराधिक कानून में ऑनलाइन आवेदन और एफआईआर आदि पर विशेष जोर दिया गया है। लेकिन पीड़ित द्वारा पुलिस को ऑनलाइन ईमेल देना जरूरी है। एसओ राजीव मिश्रा ने बताया कि ईमेल भेजने के तीन दिनों के अंदर पीड़ित को थाने में उपस्थित होकर आवेदन पर हस्ताक्षर करना होगा। इसके बाद ही पुलिस जांच और कार्रवाई शुरू करेगी। नए कानून के तहत सात साल से अधिक की सजा वाले अपराधों की जांच के लिए एफएसएल टीम को मौके पर बुलाना अनिवार्य कर दिया गया है। वरीय पुलिस अधिकारी ने बताया कि पटना में कई मामलों में इस तरह की कवायद पहले से ही हो रही है। नए कानून से शांतिप्रिय नागरिकों को काफी फायदा होगा। उनकी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई होगी। जीरो एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य होगा।
विधि विभाग द्वारा आम लोगों के लिए जल्द ही एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इस कार्य में मुख्य रूप से पंचायत स्तर पर कार्यरत सहायक न्यायिक सलाहकार व अन्य शामिल होंगे। ये कार्यकर्ता आम लोगों के बीच जाकर उन्हें नए कानूनों की जानकारी देकर जागरूक करेंगे। प्रशिक्षण में विधि के क्षेत्र में काम करने वाली निजी संस्थाओं व अन्य की भी मदद ली जाएगी।