नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इन दिनों अपने चाचा शिवपाल यादव और आजम खान की नाराजगी को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। आजम खान की जहां मुस्लिम वर्ग में जबरदस्त पकड़ है, वही यादवों के बीच शिवपाल यादव की अच्छी पकड़ है। विधान सभा चुनाव होने से पहले तक शिवपाल यादव और आजम खान और इन दोनों के कट्टर सर्मथक राजनीतिक स्वार्थों के कारण चुप रहे।
सपा के इन दोनो बड़े नेताओं और उनके सर्मथकों को उम्मीद थी कि चुनावों में मुस्लिम- यादव और भाजपा के असंतुष्ट मंत्रियों और विधायकों को तोड़कर चुनाव में उतरने पर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बन सकती है और ऐसा होने पर फिर से उनके अच्छे दिन आ सकते हैं, लेकिन लेकिन बीजेपी की रणनीति के आगे सपा अपने मकसद में फेल रही। योगी सरकार दोबारा सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही सपा में असंतुष्ट नेताओं ने अखिलेश यादव पर सवाल उठाने शुरू कर दिये हैं।
आजम खान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली खान उर्फ शानू ने सबसे पहले अखिलेश यादव पर निशाना साधा। फसाहत अली ने अखिलेश पर आजम खान को जेल निकलवाने का कोई प्रयास न करने और मुसलमानों की उपेक्षा का आरोप लगाते ही तमाम मुस्लिम नेता अखिलेश यादव के खिलाफ बयानबाजी करके मुसलमानों को सपा से अलग होकर नया राजनीतिक भविष्य तलाशने की सलाह देने की बात करने लगे।
अखिलेश यादव को सबसे बड़ा झटका तो तब लगा, जब एक बड़े मुस्लिम धार्मिक गुरू ने सपा के मुकाबले बीजेपी को ही बेहतर पार्टी बताया। अखिलेश अभी इस स्थिति से निपटने की तैयारी कर ही रही थे कि शिवपाल यादव ने सीतापुर जेल में आजम खान से मुलाकात करके अखिलेश की चिंता बढा दी। मुसलमानों के नाराज होने से पार्टी को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए अखिलेश यादव ने आजम खान की नाराजगी दूर करने की सोची।
इसी उद्देश्य से उन्होने सपा विधायक रविदास मल्होत्रा के नेतृत्व में आजम खान से जेल में मुलाकात के लिए सपा का एक प्रतिनिधि मंडल सीतापुर जेल भेजा था, लेकिन अखिलेश को यह दांव सपा के लिए उल्टा ही पडा। आजम खान ने अखिलेश यादव को आईना में उनकी धुंधली तस्वीर दिखाने के लिए सपा प्रतिनिधि मंडल से मिलने से ही इंकार कर दिया। इस प्रकरण के बाद से अखिलेश यादव से कुछ कहते नहीं बन रहा है।
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अखिलेश पार्टी नेताओं में पनप रहे असंतुष्ट नेताओं को मनाने में नाकाम रहे हैं, जबकि शिवपाल यादव और आजम खान की बढती नजदीकियां कई तरह की राजनीतिक चर्चाओं के कारण भी अखिलेश की नींद उड़ी हुई है। यदि अखिलेश ने जल्द ही शिवपाल यादव और आजम खान का मनाने का प्रयास नहीं किया, तो आने वाले दिनों में सपा की फजीहत होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। यह भी संभव है कि आजम खान और शिवपाल यादव मिलकर भी अखिलेश को बडी राजनीतिक चोट दे सकते हैं।