कर्नाटक (Karnataka) बीजेपी को लगातार झटका लगते जा रहा है। एक के बाद एक विधायक और मंत्री लगातार पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं। इसी कड़ी में कर्नाटक बीजेपी के बड़े नेता और पूरब दीप्ती सीएम रहे लक्ष्मण सावदी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। वे अभी विधान परिषद् के सदस्य थे। सावदी ने विधान परिषद् से भी इस्तीफा दे दिया है। जानकारी के मुताबिक़ उनके साथ बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं। सावदी का बीजेपी से हटना बड़ा झटका माना जा रहा है। कभी पीएम मोदी ने ही उन्हें दीप्ती सीएम की कुर्सी पर बैठाया था लेकिन बदले माहौल में अब सावदी नया ठिकाना खोज रहे हैं।
इस्तीफा के बाद सावदी ने अपने कार्यकर्ताओं को सम्बोधित भी किया और मीडिया को बताया कि वे किसी नयी पार्टी के साथ जुड़ेंगे। यह पार्टी क्षेत्रीय पार्टी भी हो सकती है या फिर कोई राष्ट्रीय पार्टी भी होगी। लेकिन जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक़ सावदी जब बेलगामी से बेंगलुरु के लिए रवाना हुए तो उनके साथ कांग्रेस के एक एमएलसी भी साथ थे। सूत्रों का कहना है कि सावदी आज ही सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार से भी मिलेंगे। उम्मीद की जा रही है कि सावदी कांग्रेस के साथ जुड़ेंगे। सावदी को इस बार टिकट नहीं मिला था इसलिए वे काफी नाराज चल रहे थे। बीजेपी के लोगों ने उन्हें मनाने की काफी कोशिश की लेकिन वे नहीं माने और कहा कि पार्टी के भीतर कुछ नेताओं ने उनका अपमान किया है। उनकी राजनीतिक हैशियत को कमतर माना गया है ,ऐसे में पार्टी में रहने का अब कोई मतलब नहीं रह जाता।
बता दें कि सावदी अभी 63 साल के हैं और पार्टी के भीतर उनकी हैशियत बड़े नेता की रही है। वे अपने स्तर पर ही कई सीटों को प्रभावित करते रहे हैं। 2020 -21 में येदियुरप्पा सरकार में पीएम मोदी ने सावदी को दीप्ती सीएम बनाया था। हालांकि येदियुरप्पा पीएम मोदी के इस निर्णय से खुश नहीं थे लेकिन आलाकमान के निर्णय के सामने उन्हें झुकना पड़ा था। कहा जा रहा है कि येदियुरप्पा तब से ही सावदी को पसंद नहीं करते थे और यही वजह है कि उन्हें इस बार टिकट से वंचित कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक़ मोदी की नजर सावदी पर उस समय पड़ी थी जब 2019 के महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के दौरान सावदी काफी सक्रिय थे। महाराष्ट्र में भी लिंगायत समाज की बड़ी आबादी है और सावदी की उसमे खूब पहुँच मानी जाती है। एक समय ऐसा भी आया जब सावदी को सीएम बनाने की बात भी चलने लगी थी और कर्नाटक बीजेपी के भीतर हड़कंप मच गया था। बता दें कि सावदी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं जिसे मोढ़घांची ,तेली समुदाय के बराबर माना जाता है। मोदी भी इसी समाज से आते हैं।
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सावदी ने अपने समर्थको के बीच कहा कि मैंने अपना मन बना लिया है। मई भीख मांगने वाला आदमी नहीं हूँ। मई एक आत्म सम्मान वाला आदमी हूँ ,नेता हूँ मई किसी के प्रभाव या बहकावे से ऐसा नहीं कर रहा हूँ। याद रहे बेलगामी बीजेपी का गढ़ माना जाता है। यहां विधान सभा कि 18 सीटें है। सावदी के पार्टी छोड़ने से बीजेपी को झटका लग सकता है।