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Gyanvapi श्रृंगार गौरी को अदालत ने सुनने लायक (Maintainable)माना, अगली सुनवाई 22 सितंबर को

वाराणसीः जिला जज(District Court) ए.के. विश्वेश ने सोमवार को यहां ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में पोषणीयता (maintainable) की अर्जी पर फैसला देते हुए कहा कि मामला पूरी तरह से सुनने लायक है। अदालत ने मुस्लिम पक्ष की रूल 7/11 वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

इस मामले में जिला जज ए.के. विश्वेश की अदालत में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में पोषणीयता पर 24 अगस्त को दोनो पक्षों अधिवक्ताओं ने अपनी बहस पूरी की थी और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने रूल 7/11 लागू होने अथवा रुल 6/11 लागू होने को लेकर जोरदार बहस की थी। जिला जज ने पोषणीयता से संबंधित अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए निर्णय सुनाने के लिए 12 सितम्बर की तिथि निर्धारित की थी।

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ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ताओं ने अदालत में यह दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद 1991 के वरशिप एक्ट से बंधी हुई है। इसीलिए यह मुकदमा सुनने योग्य नहीं है। उन्होंने बहस के दौरान अदालत में मुगल काल से लेकर अन्य धार्मिक ग्रंथों का जिक्र किया गया।

मुस्लिम पक्ष की ओर से महीनों तक वरिष्ठ अधिवक्ता अभय नाथ यादव पक्ष रखा था। लेकिन इसी बीच उनके असामयिक निधन के बाद शमीम अहमद, मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने इस मामले में अदालत में अंजुमन इंतजामिया कमेटी का पक्ष रखा। इस मामले में अंजुमन इंतजामिया कमेटी की ओर से एक और वकील योगेंद्र प्रसाद सिंह उर्फ मधुबाबू भी शामिल किए गए थे। लेकिन किसी भी सुनवाई में शामिल नहीं हुए और उन्होने खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया था।

पोषीयता पर फैसला सुनाए जाने के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही

हिंदू पक्ष यानी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मंदिर की ओर से वरिष्ठ वकील हरि शंकर जैन एवं विष्णु शंकर जैन सहित अन्य अधिवक्ताओं ने अदालत में पक्ष रखा। हिंदू पक्ष की ओर से अदालत में 1937 के दीन मोहम्मद केस का फैसला, 1937 में बीएचयू के प्रोफेसर एएस अलटेकर की पुस्तक का रिफ्रेंस एवं वेद पुराण सहित अन्य धार्मिक ग्रंथों का भी जिक्र किया गया है। हिन्दू पक्ष के अदालत में पेश साक्ष्यों के आधार पर मामले की पोषीय करार देने की मांग की थी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज वाराणसी की अदालत में मामले की पोषणीयता पर सुनवाई हुई थी। सिविल मामलों के अभी तक के मामलों में पोषणीयता पर इसकी सबसे लंबी सुनवाई हुई।

ज्ञानवापी प्रकरण पर आने वाले फैसले के मद्देनज़र वाराणसी जिला प्रशासन एवं पुलिस कमिश्नरेट ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। रविवार से हीवाराणसी शहर में आईबी, एटीएस, एलआईयू सहित अन्य खुफिया विभागों ने अपना डेरा डाला हुआ था। ज्ञानवापी एवं जिला कचहरी के आसपास सुरक्षा अत्यंत कड़ी कर दी गई है। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त फोर्स लगाई गई है। वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस को छह सेक्टरों में बांट कर सुरक्षा व्यवस्था की योजना बनाई थी। जिले की सीमाओं पर भी सुरक्षा बढ़ाई गयी थी और आने-जाने वालों पर ख़ास नजर रखी गयी।

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Team News Watch India

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