लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने मंगलवार को स्टार्टअप पॉलिसी के क्रियान्वयन की समीक्षा की। उन्होने उत्तर प्रदेश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक भव्य कार्यशाला आयोजित करने के निर्देश दिये।
उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में प्रदेश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक्सपर्ट, डीआरडीओ, डीपीटीआई और इन्वेस्टर्स आदि के साथ विचार-विमर्श किया जाए। सभी विभागों को स्टार्टअप की दिशा में तेजी से कार्य करने की जरूरत है।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने स्टार्टअप्स के लिये 100 करोड़ रूपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है। निर्धारित समय सीमा में इस राशि का उपयोग किया जाए। कृषि, फूड, पर्यटन समेत हर एक क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ाने की जरूरत है।
इससे पूर्व, विशेष सचिव आई.टी. एवं इलेक्ट्रॉनिक्स अक्षय त्रिपाठी ने कई जानकारियां दीं। उन्होने बताया कि नोडल एजेंसी के रूप में आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग स्टार्टअप पॉलिसी को प्रदेश में सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए नियमित मॉनिटरिंग कर रहा है।
अक्षय त्रिपाठी ने बताया कि प्रदेश में 10 हजार स्टार्टअप के लिए अनुकूल ईको सिस्टम, 100 इन्क्यूबेटरों का नेटवर्क, 3 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, इनोवेशन हब एवं देश का सबसे बड़ा इनक्यूबेटर लखनऊ में स्थापित कराने का लक्ष्य रखा गया है।
इस दिशा में 7000 से अधिक स्टार्टअप रजिस्टर्ड हो चुके हैं। इनमें 55 रजिस्टर्ड इनक्यूबेटर विभिन्न जनपदों में स्थापित हो चुके हैं। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के अंतर्गत एसजीपीजीआई लखनऊ में मेडटेक व आईआईटी कानपुर, नोएडा में AI सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है। आईआईटी कानपुर में ड्रोन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस अभी अनुमोदन के अधीन है।
राज्य में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डॉ ए0पी0जे0अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय में इनोवेशन हब स्थापित किया गया है। सबसे बड़ा इन्क्यूबेटर नादरगंज औद्योगिक क्षेत्र, अमौसी में नोडल एजेंसी द्वारा प्राप्त भूमि पर बनाया जाना प्रस्तावित है।
बैठक में अपर मुख्य सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग अरविंद कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त प्रशांत त्रिवेदी, अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार, सचिव नियोजन आलोक कुमार समेत अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।