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शरद पवार का इस्तीफा होगा या फिर यह सियासी स्क्रिप्ट है ?

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MAHARASTRA POLITICS: महाराष्ट्र के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे शरद पवार की राजनीति को भला कौन जाने ! आज तक तो किसी ने उनकी राजनीति को भांप न सका। जो उनके ख़ास भी कहे जाते हैं वे भी अकसर पवार के खेल को समझने में गच्चा ही खाते रहे हैं। शरद पवार की राजनीति के सामने सूत्रों की राजनीति नहीं चलती ,अब तक सब फेल ही हुए हैं। तो अब भला कौन बताएगा कि शरद पवार ने जिस अंदाज में अपनी पार्टी एनसीपी से इस्तीफे की बात कही है उसमे कोई सियासी झोल नहीं हो। इसमें खेल हो भी सकता है और नहीं भी। हो सकता है कि इसलिए कि अब वे जिस उम्र के पड़ाव पर चले गए हैं उसमे ज्यादा आराम की जरूरत है।

राजनीति में ज्यादा दाव पेंच की जरूरत होती है और भागदौड़ की भी। जो शायद अब पवार करने की स्थिति में नहीं है ,इस लिहाज से माने तो पवार का ऐलान सच भी हो सकता है। लेकिन क्या सच मे ऐसा ही है ? सिक्के का दूसरा पहलु तो ये भी हो सकता है कि जिस तरह से पिछले कई दिनों से एनसीपी के भीतर टूट की बातें आ रही है और पवार के भतीजे अजित की महत्वकक्षा कुलांचे मार रही है उसको दबाने के लिए भी शरद पवार ने एक टेस्टिंग बैटिंग की है ताकि यह जाना जाए कि अध्यक्ष बनने की होड़ में कौन सामने आता है और कौन अध्यक्ष नहीं बनाना चाहता है ?

कहानी यह भी तो हो सकती है।
एक और कहानी हो सकती है। विपक्षी एकता को लेकर जिस तरह की बातें चल रही है उसमे शरद पवार की भूमिका अभी कमजोर सी दिख रही है। विपक्षी एकता को लेकर सबसे ज्यादा नीतीश कुमार मुखर हैं। कहा जा रहा है कि विपक्ष की अगली बैठक में कुमार को संयोजक भी बनाया जा सकता है। या कुछ और भी। लेकिन शरद पवार को फिर क्या मिलेगा ?

जानकार मान रहे हैं हैं कि शरद पवार के मन में पीएम बनने की तमन्ना काफी पहले से है। इस बार जब सारे विपक्षी एक होकर बीजेपी से मुकाबला की बात कर रहे हैं तब भी पवार मान कर चल रहे हैं कि अंतिम दौर में उनके नाम की लॉटरी लग सकती है। और ऐसा हो भी सकता है। ऐसे में पवार का इस्तीफे वाला बयान कुछ इस कारण भी हो सकता है। पवार भी यह टेस्ट करना चाहते होंगे कि विपक्ष का कौन सा नेता उनसे इस मसले पर बात करता है और उसकी आगामी राजनीति के बारे में क्या राय है ? ऐसे में खेल कुछ भी हो सकता है। लेकिन इतना जान लेने की जरूरत है कि शरद पवार अगर पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे भी देते हैं तो राजनीति से सन्यास नहीं लेने जा रहे हैं। वे राज्य सभा सांसद हैं। आगामी राजनीति पर उनकी निगाह बनी रहेगी और संभव है कि विपक्षी एकता की राजनीति को बढ़ाने में भी वे आगे बढ़ते रहेंगे।

अब धमाके की बात। पवार की सांसद पुत्री सुप्रिया सुले ने कुछ दिनों पहले कहा था कि महाराष्ट्र और दिल्ली में दो सप्ताह के भीतर राजनीतिक धमाके होंगे। चुकी सुले एक गंभीर नेता हैं इसलिए उनकी बातों को दरकिनार नहीं किया जा सकता। अगर सुले की बातों पर यकीं करें तो कहा जा सकता है कि पवार ने महाराष्ट्र में अपने इस्तीफे का ऐलान कर बड़ा धमाका कर दिया है। अब दूसरा धमाका दिल्ली में क्या हो सकता है ? याद रखिये एनसीपी के गठन के बाद से पवार इसके अध्यक्ष रहे हैं। वे पार्टी के ही बड़े नेता नहीं हैं पवार देश के नामी नेताओं में शुमार हैं। वही एक ऐसे नेता हैं जो देश को जानते भी हैं और राजनीति को पहचानते भी हैं। यही वजह है कि उनको राजनीति का असली मौसम विज्ञानी के साथ ही चाणक्य भी कहा जाता है।

कहा जा रहा है कि दिल्ली का धमाका शिंदे गुट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आना है ,वह हो सकता है। माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट अगर शिंदे गुट के 16 विधायकों की विधायकी निरस्त कर देती है तो शिंदे की सरकार गिर सकती है और फिर महाराष्ट्र में एक नई राजनीति की शुरुआत हो सकती है। इसका सबको इंतजार हो सकता है। लेकिन आज शरद पवार ने जो खेल किया है वह देश की सबसे बड़ी राजनीतिक खबर है। अब इस खबर से अजित पवार और सुले की बीच की राजनीति भी ख़त्म हो सकती है और बीजेपी के संभावित खेल पर भी विराम लग सकता है।

Akhilesh Akhil

Political Editor

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