Pahalgam Terror Attack: पहलगाम के अपराधियों के दो मददगारों ने उगलने शुरू किए राज, NIA के पास अब तक ये 4 सबूत लेकिन…
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। इस हमले में मदद करने वाले दो स्थानीय लोगों को एनआईए ने गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों ने पूछताछ के दौरान तीन पाकिस्तानी आतंकियों की पहचान बताई है। आरोपियों ने आतंकियों को पनाह और दूसरी मदद मुहैया कराई थी।
Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में आतंकियों ने बेगुनाह लोगों का धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी थी। हमले के बाद आतंकी मौके से फरार हो गए थे। उन्हें दो स्थानीय लोगों ने पनाह दी थी, जिन्हें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें सोमवार को स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने 5 दिन की रिमांड पर भेज दिया है।
एनआईए ने बताया कि पहलगाम हमले के सिलसिले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ के दौरान उन्होंने इसमें शामिल तीन आतंकवादियों की पहचान के बारे में जानकारी दी है। एजेंसी ने आतंकवादियों की पहचान के बारे में पर्याप्त सबूत जुटाए हैं। इसमें पीड़ितों के प्रत्यक्षदर्शी बयान, वीडियो फुटेज, तकनीकी साक्ष्य और जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा जारी किए गए स्केच शामिल हैं। इन सभी सबूतों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जा रहा है। एनआईए ने आश्वासन दिया है कि जांच पेशेवर तरीके से की जा रही है और आतंकवादी हमले के सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। आतंकवादियों की पहचान और अन्य विवरण उचित समय पर सार्वजनिक किए जाएंगे।
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खबरों की माने तो सूत्रों का कहना है कि लश्कर से जुड़े तीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को आरोपी परवेज अहमद जोथर और बशीर अहमद जोथर ने 20 और 21 अप्रैल को मौसमी ‘ढोक’ में पनाह दी थी। एनआईए ने कहा था कि आरोपियों ने जानबूझकर पाकिस्तानी आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और अन्य रसद सहायता प्रदान की। परवेज और बशीर ने न केवल अप्रत्यक्ष रूप से आतंकी हमले का समर्थन किया, बल्कि सक्रिय रूप से इसमें मददगार भी रहे।
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दोनों आरोपियों ने किस प्रकार की आतंकवादियों की मदद?
एक अधिकारी ने बताया, ‘उन्होंने समय-समय पर बैसरन में हमले की जगह पर सुरक्षा तैनाती के पैटर्न का अध्ययन किया। इसके बाद, रिपोर्ट पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ साझा की गई, जिससे उन्हें हमला स्थल तक पहुंचने, लोगों को मारने और फिर भागने की योजना बनाने में मदद मिली। आरोपी पर्यटकों को मारने की योजना से अच्छी तरह वाकिफ थे क्योंकि उस समय बैसरन में पर्यटकों की भीड़ थी। चूंकि वे इलाके में टट्टू की सवारी भी कर रहे थे, इसलिए उन्हें हमले की जगह पर सुरक्षा चौकियों और घटनास्थल पर सैनिकों की तैनाती के पैटर्न के बारे में पूरी जानकारी थी। आतंकवादियों के इरादों से वाकिफ होने के बावजूद, उन्होंने स्वेच्छा से ये विवरण साझा किए, जिससे वे पहलगाम आतंकी हमले की साजिश में सक्रिय भागीदार बन गए।’
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एनआईए के सामने पेश हुए परवेज और बशीर ने दावा किया कि उन्हें आतंकी हमले की योजना के बारे में पता था, लेकिन उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि बैसरन में पर्यटक ही निशाना थे। आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने “कुछ हज़ार रुपये” के बदले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या करने में आतंकवादियों की मदद की थी।
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