UP By-Election : उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव (UP By-Election ) से पहले बुर्का विवाद गहराता जा रहा है। समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांग की है कि जांच के लिए बुर्का न उठाया जाए। वहीं, भाजपा की ओर से इस मुद्दे पर बड़ा हमला सामने आया है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बुर्का विवाद पर बड़ा बयान दिया है।
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उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले बुर्के को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अखिलेश यादव ने महिलाओं के बुर्के उठाकर उनकी जांच करके वोट डालने के मुद्दे पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इस प्रकार की जांच पर रोक लगाने की मांग की। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर बुर्का उठाकर जांच कराए जाने की मांग कर डाली। समाजवादी पार्टी की ओर भेजे गए पत्र में कहा गया है कि बुर्के को उठाकर जांच कराए जाने से महिलाएं डर जाती हैं। वे वोट डालने मतदान केंद्रों पर नहीं पहुंचती हैं। अब इस मसले पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बड़ा हमला सामने आया है।
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चिट्ठी में क्या है?
मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में सपा ने कई मांगें रखी हैं। इसमें कहा गया है कि मतदान केंद्रों पर महिलाओं की जांच के लिए उनके बुर्के न उतारे जाएं। पुलिसकर्मियों को महिला वोटरों के वोटर आईडी की जांच करने से रोका जाए। पीठासीन अधिकारी के बुर्का उठाकर और वोटर आईडी की जांच की मांग की गई है। सपा ने आरोप लगाया है कि पुलिस भाजपा सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर काम करती है। पार्टी की ओर से दावा किया गया है कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान सपा को इस वजह से काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। बड़ी संख्या में पार्टी को वोट करने वाले वोटर घरों से नहीं निकल पाए।
गिरिराज सिंह ने कहा है कि मतदान करने आने वाले हर वोटर की जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बुर्का हटाकर वोट डालने का विरोध नहीं किया जाना चाहिए। हर मतदाता की पहचान वोटिंग के पहले बूथ पर मौजूद पार्टियों के पोलिंग एजेंट के स्तर पर की जाती है। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि फर्जी मतदान नहीं होने देना है। हर वोटर की पहचान के बाद ही वोट डालने देना है। विरोध करने वालों कीह चुनाव आयोग से शिकायत करें।
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क्या है नियम?
चुनाव आयोग के पास मतदाता पहचान नियम है। मतदाताओं को पूरी तरह से पहचाने जाने के बाद ही मतदान करने की अनुमति दी जाती है। अगर कोई व्यक्ति या महिला अपनी पहचान साबित करने में नाकाम होता है तो उसे वोट डालने के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है। चुनाव आयोग की ओर से तैनात होने वाले पदाधिकारी और सुरक्षा बलों को असली-फर्जी वोटर की पहचान का अधिकार होता है। ऐसे में समाजवादी पार्टी की ओर से होने वाली मांग पर सवाल उठने लगे हैं।