Up Ghaziabad News: 60 वर्षीय सास ने बहू को दी नई जिंदगी, यशोदा हॉस्पिटल, कौशांबी में जटिल किडनी ट्रांसप्लांट सफल
रीना, जो दो बच्चों की मां हैं, एक साधारण ग्रामीण महिला की तरह अपनी जिम्मेदारियों में इस कदर उलझ गईं कि अपनी बिगड़ती सेहत को समय रहते समझ नहीं सकीं। मई 2024 में उन्हें एंड-स्टेज किडनी डिजीज (ESRD) का पता चला। उनकी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि डायलिसिस भी उन्हें राहत नहीं दे पा रहा था। डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट को अंतिम विकल्प बताया। लेकिन जब परिवार में कोई भी डोनर मैच नहीं हुआ, तो रीना की जिंदगी एक अधर में लटकती कहानी बन गई।
Up Ghaziabad News: रिश्तों का वास्तविक अर्थ क्या है? यह सवाल मेरठ की पुष्पा देवी ने अपने अद्भुत कदम से मानो हमेशा के लिए सुलझा दिया। 60 वर्षीय पुष्पा देवी ने अपनी 32 वर्षीय बहू रीना को किडनी दान कर न केवल उसकी जिंदगी बचाई, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि सास-बहू का रिश्ता महज तकरार और मतभेदों का पर्याय नहीं है।
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यह घटना त्याग, समर्पण और मानवीय रिश्तों की गहराई को एक नई परिभाषा देती है। रीना, जो दो बच्चों की मां हैं, एक साधारण ग्रामीण महिला की तरह अपनी जिम्मेदारियों में इस कदर उलझ गईं कि अपनी बिगड़ती सेहत को समय रहते समझ नहीं सकीं। मई 2024 में उन्हें एंड-स्टेज किडनी डिजीज (ESRD) का पता चला। उनकी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि डायलिसिस भी उन्हें राहत नहीं दे पा रहा था। डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट को अंतिम विकल्प बताया। लेकिन जब परिवार में कोई भी डोनर मैच नहीं हुआ, तो रीना की जिंदगी एक अधर में लटकती कहानी बन गई। ऐसे समय में रीना की सास पुष्पा देवी ने वो किया जो असाधारण है। अपने स्वास्थ्य और उम्र की परवाह किए बिना, उन्होंने अपनी बहू को जीवनदान देने का फैसला किया।
मेडिकल टीम का अभूतपूर्व प्रयास
रीना का मामला चिकित्सा दृष्टिकोण से अत्यंत जटिल था। उन्हें हेपेटाइटिस सी था, और पहले कई बार रक्त आधान हो चुके थे, जिससे ट्रांसप्लांट की जटिलताएं और बढ़ गई थीं। लेकिन यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशांबी की विशेषज्ञ टीम ने इसे एक चुनौती के रूप में लिया। डॉ. प्रजीत मजूमदार, डॉ. इंद्रजीत जी. मोमिन, डॉ. वैभव सक्सेना, डॉ. निरेन राव और डॉ. कुलदीप अग्रवाल की टीम ने यह ऑपरेशन सफलता पूर्वक संपन्न किया। डॉ. वैभव सक्सेना के अनुसार, “रीना का मामला अत्यंत संवेदनशील था। लेकिन पुष्पा देवी का निःस्वार्थ भाव और मेडिकल टीम का समर्पण इस चुनौती को पार करने में हमारी सबसे बड़ी ताकत बना। आज दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।”
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समाज को दिया मजबूत संदेश
भारत में हर साल किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत वाले 2,20,000 मरीजों में से केवल 7,500 को यह उपचार मिल पाता है। महिलाओं के लिए यह यात्रा और भी कठिन है। 70% डोनर महिलाएं होती हैं, लेकिन किडनी पाने वाले ज्यादातर पुरुष होते हैं। पुष्पा देवी का यह कदम समाज को यह सीख देता है कि महिलाओं का स्वास्थ्य और उनकी प्राथमिकता भी उतनी ही अहम है। रीना ने भावुक होते हुए कहा, “मुझे अपनी सास से जीवनदान मिला है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि सास-बहू का रिश्ता सिर्फ पारिवारिक परंपराओं का नहीं, बल्कि आत्मिक बंधन का होता है।”
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रिश्तों का अनमोल अध्याय
यह कहानी रिश्तों की गहराई और स्नेह की महत्ता को फिर से परिभाषित करती है। पुष्पा देवी का यह निर्णय सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह हर घर में मौजूद सास-बहू के रिश्ते को नई दृष्टि देने वाली मिसाल है। यह घटना यह बताती है कि जहां प्रेम और विश्वास होता है, वहां कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।
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यशोदा हॉस्पिटल की चिकित्सा दक्षता
यशोदा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल ने न केवल एक जीवन बचाया, बल्कि मेडिकल क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता का एक और प्रमाण दिया। यह ट्रांसप्लांट न केवल चिकित्सा क्षेत्र की उपलब्धि है, बल्कि मानवीय मूल्यों की जीत का प्रतीक भी है।
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