UP Ghaziabad News: मंदिर धर्मशाला में निकाह आयोजन से उपजा विवाद! धार्मिक भावनाओं के टकराव ने बढ़ाया तनाव
मंदिर धर्मशाला में निकाह आयोजन से उपजा विवाद! धार्मिक भावनाओं के टकराव ने बढ़ाया तनाव
UP Ghaziabad News: गाजियाबाद के मोदीनगर में स्थित शिव शक्ति धाम मंदिर की धर्मशाला में मुस्लिम निकाह का आयोजन कराने को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया। स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसे धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन बताते हुए कड़ी आपत्ति जताई। घटना ने इलाके में धार्मिक और सामाजिक संवेदनशीलता के मुद्दे को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
धर्मशाला में निकाह का आयोजन
मामला तब शुरू हुआ जब मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित धर्मशाला में ठेकेदार मनोज सक्सेना ने एक मुस्लिम महिला, शबनम, को निकाह के लिए बुकिंग दी। बारात लोनी से धर्मशाला पहुंच चुकी थी और तैयारियां पूरी थीं। पास ही स्थित शिव शक्ति धाम मंदिर में पूजा के लिए पहुंचे हिंदू श्रद्धालुओं ने जब धर्मशाला में निकाह समारोह देखा, तो उन्होंने इसे मंदिर की पवित्रता और धार्मिक परंपराओं के खिलाफ बताया।
हिंदू संगठनों का हस्तक्षेप
घटना की सूचना मिलते ही हिंदू संगठनों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में धर्मशाला के बाहर इकट्ठा हो गए। उन्होंने इस आयोजन को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाते हुए विरोध किया और पुलिस को बुलाया। संगठनों का कहना था कि मंदिर की धर्मशाला में गैर-हिंदू आयोजन करने से धार्मिक आस्था को चोट पहुंचती है।
निकाह की रस्म रोक दी गई
विवाद बढ़ता देख मौके पर पहुंचे काजी ने निकाह पढ़ने से इनकार कर दिया। पुलिस ने स्थिति को संभालने के लिए तत्काल हस्तक्षेप किया और ठेकेदार मनोज सक्सेना को हिरासत में ले लिया।
पुलिस जांच और धार्मिक भावनाओं का मुद्दा
मामले को लेकर पुलिस ने शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मंदिर ट्रस्ट के ठेकेदार से पूछताछ की जा रही है कि धर्मशाला में इस तरह का आयोजन क्यों और किस अनुमति के तहत किया गया।
धर्मशाला के उपयोग पर सवाल
यह मामला सिर्फ एक निकाह आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसने धार्मिक स्थलों और उनसे जुड़ी धर्मशालाओं के उपयोग को लेकर एक व्यापक बहस छेड़ दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर ट्रस्ट को अपनी धर्मशाला के उपयोग के नियम स्पष्ट करने चाहिए।
सामाजिक तनाव और समाधान की आवश्यकता
घटना के बाद इलाके में हल्का तनाव देखा गया, हालांकि पुलिस की सतर्कता से स्थिति काबू में है। यह घटना धार्मिक सहिष्णुता, परंपराओं और आधुनिक जरूरतों के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित करती है।