UP Local Body Elections: पिछड़ा वर्ग आरक्षण ने सैकड़ों नेताओं के अरमानों पर पानी फेरा!
Lucknow News (लखनऊ समाचार)। उत्तर प्रदेश में अगले सप्ताह में किसी भी दिन राज्य चुनाव आयोग स्थानीय निकाय चुनाव की घोषणा कर सकता है। प्रदेश में मई के अंत तक निकाय चुनावों को संपन्न करा लिया जाएगा, इसके लिए पूरे ख़ाके को अंतिम रुप दे दिया गया है। बस सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पिछड़ा आरक्षण सीटों की घोषणा पर प्राप्त होने वाली आपत्तियों के निस्तारण का इंतज़ार है।
पिछड़ा वर्ग आरक्षण के कारण प्रदेश में सैकड़ों नेताओं के अरमानों पर पानी फिर गया है। सामान्य वर्ग के आने वाले सैकड़ों नेता निकाय चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन जिन निकायों के अध्यक्ष पदों पर वे चुनाव मैदान में उतरना चाहते थे, उन पर महिला अथवा पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित होने के कारण उनके चुनाव लड़ने की संभावना ओं पर विराम लग गया है। अब ये नेतागण मजबूरी वश अपने किसी नजदीकी आरक्षित रहने के व्यक्ति अथवा महिला को चुनाव लड़ाने की तैयारी में लग गये हैं।
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बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल मिलाकर 762 नगर निकाय हैं, लेकिन इनमें केवल 760 निकायों के लिए ही चुनाव होगा। दो नगर निकायों को लेकर अदालत में मामले विचाराधीन होने के कारण उन निकायो में चुनाव नहीं होगा।
प्रदेश की 760 निकायों पर होने वाले चुनावों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नये आरक्षण फार्मूले में उत्तर प्रदेश की कुल 17 नगर निगमों में से 11 नगर निगम, 200 नगर पालिका परिषद दों में से 100 नगर पालिका परिषदों और 542 नगर पंचायतों में से 269 नगर पंचायतों के आरक्षण में फेरबदल हुआ है। कुल मिलाकर 760 नगरीय निकायों में से 380 सीटों पर नए आरक्षण लागू होने पर देश के सैकड़ों नेताओं का चुनावी खेल बिगड़ गया है। अब उन्हें नए सिरे से चुनावी तैयारी करनी पड़ रही है।
सबसे बड़ा झटका राजधानी लखनऊ के भाजपा नेताओं को लगा है। जो नेता लखनऊ नगर निगम सीट को सामान्य मानकर मेयर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, उनकी सारी तैयारी धरी की धरी रह गयीं हैं। लखनऊ मेयर सीट महिला हो जाने के कारण पुरुष नेताओं के चुनाव लड़ने के सपनों पर पानी फिर गया है।
बता दें कि प्रदेश में 17 में नगर निगमों में 9 मेयर सीटों पर आरक्षित हैं। इनमें आगरा मेयर सीट अनुसूचित जाति महिला, झांसी मेयर अनुसूचित जाति, शाहजहांपुर और फिरोजाबाद मेयर सीटों पर ओबीसी महिला, सहारनपुर और मेरठ मेयर के लिए पिछड़ा वर्ग और लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद में मेयर सीट महिला के आरक्षित की गई है। इससे पहले भी गाजियाबाद की मेयर सीट सामान्य महिला थी। नये आरक्षण में फिर से महिला के लिए आरक्षित होने से तमाम नेताओं का चुनाव लड़ने का सपना टूटा है।