UP Lok Sabha Election Latest News: यूपी में पीडीएम मोर्चा तैयार,अमेठी और रायबरेली से उतारे उम्मीदवार !
UP Election Latest News Update: चुनावी चौसर में खेल तो सब कर रहे हैं। इस खेल में कुछ अपने भी हैं तो कुछ पराये भी। कुछ नए हैं तो कुछ पुराने भी। सबकी अपनी औकात है और अपनी समझ भी। लोकसभा चुनाव में किसके साथ जनता क्या करेगी यह कोई नहीं जानता। लेकिन जनता को फंसाने के सभी प्रयास तो चल ही रहे हैं। यूपी को ही लीजिये तो पता चलता है कि विधान सभा चुनाव में पल्लवी पटेल ने सपा का साथ दिया था और मिलकर चुनाव लड़ी थी लेकिन अब राह अलग हो गयी है। अखिलेश और पल्लवी की राजनीति अलग हो चुकी है। पल्लवी ने राहुल गाँधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी साथ दिया था लेकिन अब सब पुरानी बात हो गई है। पल्लवी अब सूबे में एक नयी पहचान बना चुकी है। उसके पास भी कुछ जातीय वोट हैं और यही वोट उसे आगे बढ़ने में प्रेरित कर रहे हैं।
चार दलों ने मिलकर अब नया गठबंधन यूपी में तैयार किया है। नाम रखा गया है पीडीएम मोर्चा। पीडीम मतलब पिछड़ा ,दलित और मुसलमान। है तो यह बड़ा मोर्चा लेकिन देखने की बात यह है कि यह मोर्चा चुनाव में क्या कुछ कर पाता है।
अब इस मोर्चे के लिए लखनऊ में एक दफ्तर भी खुल गया है। दफ्तर में लोग भी शामिल हो गए हैं। कल देर शाम तक इस मोर्चे की बैठक हुई और उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी कर दी गई। जिन सात उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई है उनमे रायबरेली के लिए भी उम्मीदवार घोषित किये गए हैं। रायबरेली से हाफिज मोहम्मद मोबिन को मैदान में उतरा गया है। इसके साथ ही इस मोर्चा में हाथरस ,बरेली ,फिरोजाबाद ,फतेहपुर ,भदोही और चंदौली के लिए भी उम्मीदवार खड़े किये गए हैं।
यह भी बता दें कि इस पीडीम मोर्चा में चार दल शामिल हैं। अपना दल अमेरबादी के साथ ही ओवैसी की पार्टी AIMIM ,उदय राष्ट्र पार्टी और प्रगतिशील मानव समाज पार्टी शामिल है। जानकारी के मुताबिक यह मोर्चा यूपी की कई और सीटों पर भी उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहा है।
सपा नेता अखिलेश यादव ने भी पीडीएम की बात की है। लेकिन पल्लवी को पीडीएम से अलग पीडीएम चाहिए था सो उन्होंने इसका गठन किया। यूपी में दलित ,पिछड़े और मुसलमानो की बड़ी आबादी है। अगर यह आबादी किसी एक पार्टी के साथ खड़ी हो जाए तो उसका एकतरफा जीत हो सकती है। लेकिन राजनीति का सच यही है कि ये सभी जातियां कई दलों में बनती हुई हैं और कई दलों का आधार वोट बैंक भी यही जातियां है। कुछ जातियां सपा के साथ है तो कुछ बीजेपी के साथ। कुछ जातियां बसपा के साथ है तो कुछ किसी और पार्टियों के साथ। अलग -अलग इलाके में आधार वाली पार्टियां इन जातियों के दम पर राजनीति करती दिख रही है।
अब देखने की बात यह है कि इसनए मोर्चे का अगला कदम क्या होता है। अगर इस मोर्चा के साथ जनता खड़ी होती है तो भले ही यह मोर्चा चुनाव में कोई बड़ा हेरफेर न करे लेकिन कुछ पार्टियों को हारने के लिए यह मोर्चा काफी है। उम्मीद तो यह भी की जा रही है यह मोर्चा तीन चार सीटों पर कयदा फोकस कर रहा है और ऐसा हुआ तो बीजेपी के साथ ही सपा का खेल भी ख़राब हो सकता है।