UPI Outage: देशभर में UPI सिस्टम ठप, तकनीकी खराबी से डिजिटल लेनदेन ठप पड़े
शनिवार को तकनीकी खराबी के कारण देशभर में UPI सेवाएं ठप हो गईं, जिससे करोड़ों उपयोगकर्ताओं और व्यापारियों को भुगतान में कठिनाई हुई। पेटीएम, फोनपे और गूगल पे जैसे प्रमुख ऐप प्रभावित हुए। यह घटना डिजिटल भुगतान प्रणाली की कमजोरियों और सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है।
UPI Outage: शनिवार को भारतभर में UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) सेवाओं में आई तकनीकी खराबी के चलते करोड़ों डिजिटल उपभोक्ताओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पेटीएम, फोनपे और गूगल पे जैसे प्रमुख डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म अचानक ठप हो गए, जिससे न सिर्फ आम जनता बल्कि छोटे-बड़े व्यापारियों के भी लेनदेन बाधित हो गए। इस व्यापक रुकावट ने देशभर में डिजिटल भुगतान प्रणाली की निर्भरता और उसमें मौजूद तकनीकी कमजोरियों को उजागर कर दिया।
सोशल मीडिया पर छाया रहा हाहाकार
सुबह से ही उपयोगकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर शिकायतों की बाढ़ ला दी। ट्विटर, फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म पर हजारों लोगों ने अपने अनुभव साझा किए और पूछा कि आखिरकार UPI के साथ क्या हो रहा है। कई लोगों ने बताया कि वे दुकानों पर खड़े हैं और भुगतान नहीं कर पा रहे। कुछ ने फूड डिलीवरी, ई-कॉमर्स शॉपिंग और ऑनलाइन बिल भुगतान में समस्या का जिक्र किया।
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डाउनडिटेक्टर पर मिली रुकावट की पुष्टि
ऑनलाइन सेवाओं की निगरानी करने वाली वेबसाइट डाउनडिटेक्टर पर दोपहर के समय शिकायतों में भारी उछाल देखा गया। प्लेटफॉर्म के अनुसार दोपहर 12:00 बजे तक 1,200 से अधिक लोगों ने रिपोर्ट की कि उन्हें भुगतान करने या पैसे ट्रांसफर करने में समस्या आ रही है। लगभग 66% उपयोगकर्ताओं ने भुगतान विफल होने की शिकायत की, जबकि 34% ने फंड ट्रांसफर के दौरान त्रुटियों की जानकारी दी। ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि समस्या सिर्फ एक या दो ऐप में नहीं, बल्कि पूरे UPI नेटवर्क में थी।
UPI क्यों है इतना जरूरी?
UPI, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने विकसित किया है, आज भारत की डिजिटल इकोनॉमी की रीढ़ बन चुका है। यह एक रीयल-टाइम भुगतान प्रणाली है, जो उपयोगकर्ताओं को एक मोबाइल ऐप के माध्यम से अलग-अलग बैंकों में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा देता है। इस पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाता और लेनदेन की प्रक्रिया बेहद सरल और त्वरित होती है। 2024 में ही, भारत में प्रति दिन औसतन 35 करोड़ से अधिक UPI लेनदेन हुए, जो इस प्रणाली की व्यापक स्वीकृति और उपयोग को दर्शाता है।
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बाजार और व्यापारियों पर बड़ा असर
UPI प्रणाली की इस विफलता ने छोटे दुकानदारों से लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों तक को प्रभावित किया। जिन व्यापारियों ने केवल डिजिटल भुगतान पर निर्भरता बढ़ा ली है, उन्हें दिनभर नकदी की व्यवस्था करनी पड़ी। कैशलेस ट्रांजैक्शन पर आधारित बिजनेस मॉडल पर सीधा असर पड़ा। कई रिटेल दुकानदारों ने ग्राहकों को “नेटवर्क डाउन है” कहकर लौटा दिया।
तकनीकी कारणों पर उठे सवाल
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या सर्वर ओवरलोड या किसी नेटवर्क गड़बड़ी के कारण उत्पन्न हो सकती है। कुछ ने संभावना जताई कि यह नियोजित रखरखाव के दौरान कोई तकनीकी खामी हो सकती है, जबकि अन्य साइबर सुरक्षा से जुड़ी किसी संभावित घटना की ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि, आधिकारिक रूप से NPCI या किसी प्रमुख ऐप द्वारा अभी तक विस्तृत स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।
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डिजिटल भुगतान की बढ़ती निर्भरता पर पुनर्विचार जरूरी
यह घटना इस बात का संकेत देती है कि जैसे-जैसे देश डिजिटल होता जा रहा है, वैसे-वैसे एक मजबूत और सुरक्षित तकनीकी आधारभूत संरचना की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक संपूर्ण बैकअप सिस्टम, क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार और साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल को सुदृढ़ करना अब समय की मांग है।
देशभर में UPI सेवाओं की रुकावट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डिजिटल भुगतान प्रणाली को और मजबूत और भरोसेमंद बनाए जाने की आवश्यकता है। यह घटना न केवल तकनीकी चेतावनी है, बल्कि यह एक अवसर भी है कि भारत अपने डिजिटल ढांचे को पुनः परखकर उसमें सुधार करे। जब भारत ‘कैशलेस इकोनॉमी’ की ओर बढ़ रहा है, तब ऐसी घटनाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि तकनीक जितनी सहूलियत देती है, उतनी ही जिम्मेदारी से उसका प्रबंधन भी आवश्यक है।
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