रुड़की, हरिद्वार: रुड़की के एक निजी अस्पताल में डिलीवरी के बाद 28 वर्षीय महिला की मौत ने एक गंभीर विवाद को जन्म दे दिया, जिसके बाद अस्पताल में भारी हंगामा हुआ। मृतका के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ की। घटना हरिद्वार के रुड़की स्थित माही हेल्थ केयर सेंटर की है, जहां इमलीखेड़ा गांव की निवासी कविता (28), पत्नी मोहित, को चार दिन पहले प्रसव के लिए भर्ती किया गया था।
घटना का विवरण
गंगनहर कोतवाली क्षेत्र के गुलाबनगर मोहल्ला स्थित देहरादून-रुड़की रोड पर माही हेल्थ केयर सेंटर में कविता को प्रसव के लिए भर्ती किया गया था। जानकारी के अनुसार, महिला ने सुरक्षित रूप से बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन नवजात की हालत ठीक नहीं थी, जिसके चलते उसे मशीन में रखा गया। हालांकि, कविता को उसी अस्पताल में इलाज के लिए रखा गया। मृतका के परिजनों के अनुसार, डिलीवरी के बाद कविता की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उसे डिस्चार्ज करने से इनकार कर दिया।
परिजनों का आरोप है कि उन्होंने कई बार डॉक्टरों से अनुरोध किया कि कविता की हालत बिगड़ रही है और उसे किसी बड़े अस्पताल में रेफर किया जाए, लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया। धीरे-धीरे कविता की स्थिति और खराब होती गई और शुक्रवार की शाम उसकी मौत हो गई।
अस्पताल में हंगामा और तोड़फोड़
कविता की मौत की खबर सुनते ही परिजन अस्पताल में आक्रोशित हो गए और अस्पताल में तोड़फोड़ शुरू कर दी। गुस्साए परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर समय पर सही उपचार मिलता या उसे किसी बड़े अस्पताल में रेफर किया जाता, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।
हंगामे की स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ डर के मारे अस्पताल छोड़कर फरार हो गए। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए गंगनहर कोतवाली से एसएसआई प्रदीप कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और उन्होंने हंगामा कर रहे लोगों को शांत कराने की कोशिश की।
परिजनों की मांग: डॉक्टर को बुलाने की जिद्द
हालांकि, पुलिस के हस्तक्षेप के बावजूद मृतका के परिजन डॉक्टर को मौके पर बुलाने की जिद्द पर अड़े रहे। परिजनों का आरोप था कि डॉक्टर की लापरवाही के कारण कविता की जान गई है और वे जब तक डॉक्टर से सीधे जवाब नहीं लेंगे, तब तक शांत नहीं होंगे।
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करते हुए परिजनों से बात करने की कोशिश की, लेकिन माहौल तनावपूर्ण बना रहा। खबर लिखे जाने तक परिजनों की मांगें जारी थीं और वे डॉक्टर को बुलाने पर जोर दे रहे थे।
डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन पर लगे आरोप
मृतका के परिजनों ने अस्पताल और डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जब कविता की तबीयत खराब हो रही थी, तो डॉक्टरों ने सही समय पर कोई कदम नहीं उठाया और न ही उसे किसी बड़े अस्पताल में रेफर किया। उनकी बातों को बार-बार नजरअंदाज किया गया, जिसके चलते कविता की मौत हो गई।
अस्पताल प्रशासन की तरफ से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, जबकि डॉक्टर और स्टाफ घटना के बाद से गायब हैं।
पुलिस की कार्रवाई और स्थिति की गंभीरता
पुलिस ने फिलहाल स्थिति को नियंत्रित कर लिया है, लेकिन परिजनों की नाराजगी और अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग के चलते मामला गंभीर बना हुआ है। पुलिस ने बताया कि इस मामले की पूरी जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने न केवल अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी गंभीर चिंताएं जताई हैं। इलाके के लोग भी इस घटना के बाद काफी नाराज हैं और मामले की निष्पक्ष जांच और उचित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।