Manoj Soni UPSC: पूजा खेडकर विवाद के बीच यूपीएससी चेयरमैन मनोज सोनी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसको लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। लोग मनोज सोनी के इस्तीफे के कारणों को लेकर कयास लगा रहे हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि उन्होंने काफी पहले ही इस्तीफा दे दिया है। आपको बता दें कि मनोज सोनी का सफर काफी दिलचस्प रहा है। एक रेहड़ी-पटरी वाले के घर जन्मे मनोज सोनी ने बचपन में अगरबत्ती भी बेची है। हालांकि बाद में उन्होंने सफलता के नए आयाम रचे और महज 40 साल की उम्र में देश के सबसे युवा कुलपति बने। एक नजर मनोज सोनी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों पर…
यूपीएससी चेयरमैन पद से मनोज सोनी के इस्तीफे और पूजा खेडकर विवाद के बीच कोई संबंध नहीं है। मनोज सोनी 2017 से यूपीएससी से जुड़े हुए हैं। बाद में मई 2023 में उन्हें यहां का चेयरमैन बनाया गया। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उन्होंने एक महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया था। वहीं, इस बात को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि उनका इस्तीफा स्वीकार होगा या नहीं। मनोज सोनी को आधिकारिक तौर पर कार्यमुक्त करने की भी अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया यह भी जा रहा है कि मनोज सोनी अनुपम मिशन में ज्यादा समय देना चाहते हैं। साल 2020 में वे इस मिशन में निष्काम कर्मयोगी बन गए हैं। यह मिशन गुजरात के स्वामीनारायण संप्रदाय की एक शाखा है।
मनोज सोनी का जन्म 17 फरवरी 1965 को हुआ था। जब वे पांचवीं क्लास में थे, तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। उनके पिता मुंबई की गलियों में कपड़े बेचा करते थे। पिता की असामयिक मृत्यु के बाद मनोज सोनी ने परिवार का भरण-पोषण करने और अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए मुंबई की झुग्गियों में अगरबत्ती बेचना शुरू कर दिया। 1978 में मनोज सोनी की मां मुंबई से गुजरात के आनंद में रहने लगीं। 10वीं की पढ़ाई पूरी करने के बजाय मनोज सोनी ने राज रत्न पीटी पटेल कॉलेज से आर्ट्स की पढ़ाई की।
मनोज सोनी राजनीति विज्ञान के विद्वान हैं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उनकी विशेषज्ञता है। 1991 से 2016 के बीच मनोज सोनी सरदार पटेल विश्वविद्यालय, वल्लभ विद्यानगर में अध्यापन भी कर चुके हैं। महज 40 साल की उम्र में वे महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा के वीसी बन गए। उन्होंने ‘अंडरस्टैंडिंग द ग्लोबल पॉलिटिकल अर्थक्वेक’ नाम की किताब भी लिखी है।