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पुजारी की बेटी ने एशियाई चैंपियनशिप में रचा इतिहास

ओलंपियन सीए भवानी देवी ने चीन के वुकिसी में एशियाई तलवारबाजी चैंपियनशिप की महिला सेबर स्पर्धा के सेमीफाइनल में हार के बावजूद कांस्य पदक दीतकर इतिहास रचा.

यह इस खेल में भारत का पहला पदक है
सेमीफाइनल में 29 साल की भवानी को उज्बेकिस्तान की जेनाब डेयिबेकिस्तान के खिलाफ कडे मुकाबले में 14-15 से हार का सामना करना पडा लेकिन उन्होने इस प्रतियोगिता में भारत के लिए पहला पदक सुनिश्चित किया. 19 जून यानी सोमवार को खेले गए (semi final) सेमीफाइनल मुकाबले में भवानी देवी को (Uzbekistan ) उज्बेकिस्तान की जेनाब डेयिबेकोवा ने एक कड़े मैच में 15-14 से हरा दिया. (semifinal) सेमीफाइनल में हार के बावजूद भवानी भारत के लिए इतिहास रचने में सफल रहीं.

सीए भवानी देवी और उनका परिवार तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई (chennai) में रहता है.
भिवानी देवी का जन्म 27 अगस्त 1993 मे हुआ था. बता दें भवानी के पिता जी पूजारी हैं और माता गृहिणी है. भवानी के 2 भाई और 2 बहनें भी हैं. भवानी का तलवारबाजी (fencing) से पहला परिचय 9 साल की उम्र में हुआ था. भिवानी ने एक इंटरव्यू में कहा वह छठी कक्षा में थीं जब उन्हें अलग-अलग खेलों में किसी एक खेल को चुनना था. लेकिन दूसरे खेलों में एक भी स्थान खाली नही था. सिर्फ तलवारबाजी में ही खाली स्थान था. भिवानी को न चाहकर भी फेंसिग चुनना पडा. लेकिन भिवानी के लिए यह खेल नया था भवानी ने मायूस होने की बजाय कुछ नया करने की ठानी और यह छोटी उम्र में लिया गया उनका बड़ा फैसला था. यह खेल सिर्फ भिवानी के लिए नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए ही नया था.

सीए भवानी ने तलवारबाजी की शुरुआत 9 साल की उम्र से बांस से बनी तलवार से की .
जब वह अच्छा खेलते हुए राष्ट्रीय स्तर (national level) पर पहुंची तो उनका परिचय बिजली से चलने वाली तलवार से हुआ. अपनी मेहनत और लगन से भवानी ने तलवारबाजी की दुनिया में भारत का नाम रोशन किया . वह टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स (tennis player serena williams) और फेंसिंग स्टार मरियल जगुनिस (fencing star mariel jagunis) को अपनी प्रेरणा मानती हैं.

बहुत सी चुनौतिया और कठिनाईयो का सामना करते करते आज भिवानी इस मुकाम तक पहुंचने मे सफल हुई है दरअसल, भारत में तलवारबाजी गेम (fencing game) के लिए बहुत कम सुविधाएं है और न ही कोचिंग सेंटर थे. भवानी एक गरीब परिवार से आती हैं और तलवारबाजी (fencing) बहुत महंगा गेम है. ऐसे में, उनके परिवार के लिए उनका खेल जारी रखना बहुत ही चुनौतीभरा था . लेकिन भवानी ने हिम्मत नही हारी और बहुत से नेक दिल लोगों से उनकी मदद की और उन्होने खेल जारी रखा . साल 2020 में ओलिंपिक खेलों के लिए चयनित होकर भी उन्होंने इतिहास रचा था और ऐसा करने वाली वह देश की पहली खिलाड़ी बनी.

Prachi Chaudhary

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