Uttar Pradesh Meerut News: राज्यसभा सांसद वाजपेयी को नहीं पहचान पाई पुलिस, कार्यक्रम स्थल पर हंगामा
उत्तर प्रदेश के मेरठ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कांवड़ यात्रा पर पुष्पवर्षा कार्यक्रम के दौरान प्रशासनिक लापरवाही सामने आई। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पुलिस ने आम नागरिकों के साथ-साथ बीजेपी के दिग्गज नेताओं को भी पहचानने में चूक कर दी। इस कारण कार्यक्रम स्थल पर कुछ देर के लिए हंगामे जैसे हालात बन गए।
Uttar Pradesh Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कांवड़ यात्रा पर पुष्पवर्षा कार्यक्रम के दौरान प्रशासनिक लापरवाही सामने आई। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पुलिस ने आम नागरिकों के साथ-साथ बीजेपी के दिग्गज नेताओं को भी पहचानने में चूक कर दी। इस कारण कार्यक्रम स्थल पर कुछ देर के लिए हंगामे जैसे हालात बन गए।
राज्यसभा सांसद वाजपेयी को पुलिस ने नहीं पहचाना
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की गाड़ी को कार्यक्रम स्थल के मुख्य मार्ग पर रोका गया। बैरिकेडिंग पर तैनात पुलिसकर्मी उन्हें पहचान नहीं सके और आगे बढ़ने से मना कर दिया। इस पर नाराज वाजपेयी ने कहा, “अगर यहीं गाड़ी खड़ी कर दूं तो सबको पता चल जाएगा।” परिचय देने के बाद ही उन्हें कार्यक्रम स्थल तक जाने की अनुमति दी गई।
संगीत सोम की गाड़ी को भी रोका, पुलिस से तीखी बहस
पूर्व विधायक और बीजेपी नेता संगीत सोम की निजी गाड़ी को भी पुलिस ने रोक दिया। उन्होंने अपना परिचय देने के बाद भी जब पुलिस नहीं मानी, तो वे भड़क गए। अधिकारियों ने उन्हें सरकारी वाहन से आगे बढ़ने का सुझाव दिया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। इसके बाद करीब 20 मिनट तक पुलिस अधिकारियों से तीखी बहस होती रही। मामला बढ़ता देख एसपी ट्रैफिक और एडीएम सिटी को मौके पर पहुंचना पड़ा।
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पुलिस की सख्ती के बाद लौटे
एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह के पहुंचने के बावजूद सुरक्षा कारणों से बैरिकेडिंग नहीं हटाई गई। आखिरकार संगीत सोम को लौटना पड़ा। हालांकि बाद में वह पीछे के रास्ते से कार्यक्रम स्थल पहुंचे और मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ नजर आए।
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प्रशासन की चूक पर उठे सवाल
इस घटनाक्रम ने मेरठ प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेताओं की सुरक्षा और पहचान की अनदेखी से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा व्यवस्था में समन्वय की कमी थी। यह घटना न केवल प्रशासनिक संवेदनशीलता की परीक्षा थी, बल्कि आने वाले आयोजनों के लिए भी एक चेतावनी बन गई है।
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