Uttar Pradesh News: यूपी में स्कूलों के मर्जर पर सरकार को बड़ी राहत! हाईकोर्ट ने खारिज की सभी याचिकाएं
उत्तर प्रदेश सरकार को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत ने 5000 प्राथमिक स्कूलों के मर्जर के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है. सरकार ने तर्क दिया था कि यह कदम संसाधनों के बेहतर उपयोग और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए उठाया गया है, जिसे कोर्ट ने नीतिगत मानते हुए उसे सही ठहराया है.
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश में प्राइमरी स्कूलों के मर्जर (आपस में मिलाना) के खिलाफ जितनी भी याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर की गई थीं, उन सभी को खारिज कर दिया गया है! जी हां, सरकार के लिए ये एक बड़ी जीत मानी जा रही है।
हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि बच्चों को शिक्षा का अधिकार तो है, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं कि हर एक किलोमीटर पर स्कूल होना जरूरी है।
क्या था मामला?
दरअसल, यूपी सरकार (UP government) ने 16 जून 2024 को ‘स्कूल पेयरिंग’ का एक आदेश निकाला था, जिसे मर्जर भी कहा जा रहा था। इसके तहत कई प्राइमरी स्कूलों को आपस में मिलाया जा रहा था। सीतापुर की कृष्णा कुमारी और 51 बच्चों के साथ-साथ कुछ और लोगों ने इस आदेश के खिलाफ याचिकाएं दायर की थीं। उनका कहना था कि ये बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।
कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस ओमप्रकाश शुक्ला की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और 4 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब जारी किया गया है। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार जरूर है, लेकिन ये नहीं लिखा कि हर बच्चे को एक किलोमीटर के अंदर ही स्कूल मिलना चाहिए।
सरकार की दलील मजबूत
सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया कि ये मर्जर नहीं, बल्कि ‘स्कूल पेयरिंग’ है। सरकारी वकीलों ने तर्क दिया कि बहुत से ऐसे स्कूल हैं जहां एक भी बच्चा नहीं है, तो ऐसे में प्रशासनिक तौर पर ये कदम जरूरी था।
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व्यवहारिक फैसला
कोर्ट ने माना कि शिक्षा के अधिकार से जुड़े नियमों को जमीनी हकीकत को देखते हुए ही लागू करना चाहिए। कोर्ट ने यहां तक कहा कि अगर हर किलोमीटर पर स्कूल खोलना जरूरी मान लिया जाए, तो यूपी जैसे बड़े राज्य में लगभग 8 लाख स्कूल खोलने पड़ेंगे, जो कि व्यावहारिक नहीं है।
न्यायालय ने ये भी कहा कि अगर स्कूल पास में नहीं है, तो सरकार की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों को स्कूल तक आने-जाने की सुविधा दे।
ये फैसला यूपी सरकार के शिक्षा में सुधार के प्रयासों के लिए एक बड़ी राहत है! अब देखना होगा कि सरकार इस फैसले के बाद और क्या कदम उठाती है।
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