Uttar Pradesh News: यूपी में ‘कांवड़ यात्रा नेम प्लेट’ पर नया बवाल! सरकार सख्त, विपक्ष ने बोला हमला
उत्तर प्रदेश में आगामी कांवड़ यात्रा से पहले 'नेम प्लेट' को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है, जहां सरकार ने कांवड़ मार्ग पर ढाबों और दुकानों को अपनी पहचान (नाम और रजिस्ट्रेशन/लाइसेंस) प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है, जिस पर विपक्ष ने तीखा हमला बोला है और इसे सांप्रदायिक भेदभाव व समाज को बांटने की साजिश बताया है, जबकि सरकार इसे कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा कदम बता रही है।
Uttar Pradesh News: कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले ही उत्तर प्रदेश में एक बार फिर ‘नेम प्लेट’ विवाद गरमा गया है। सरकार ने कांवड़ मार्गों पर खान-पान की दुकानों के लिए सख्त नियम लागू किए हैं, जिसके तहत दुकानदारों को अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर साफ-साफ दिखाना होगा। वहीं, विपक्ष ने इसे धार्मिक भेदभाव और निजता का उल्लंघन बताकर सरकार पर हमला बोला हैं।
क्या है ‘नेम प्लेट’ विवाद?
दरअसल, जुलाई 2024 में भी ऐसा ही आदेश आया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रोक लगा दी थी। लेकिन, सितंबर में राज्य सरकार (state government) ने फिर से कड़े नियम लागू किए, और अब 2025 की कांवड़ यात्रा से ठीक पहले इन नियमों को दोबारा दोहराया गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा, स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए है। उनका तर्क है कि इससे खाद्य सुरक्षा बनी रहेगी और ‘हलाल’ सर्टिफिकेशन जैसे मुद्दों पर फैलने वाले भ्रम को रोका जा सकेगा।
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सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी सरकार की सख्ती
बता दें 22 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने दुकानदारों की निजी जानकारी सार्वजनिक करने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। कोर्ट ने इसे निजता के अधिकार का उल्लंघन बताया था। इसके बावजूद, 24 सितंबर 2024 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नया आदेश जारी किया, जिसमें सभी भोजनालयों और रेस्तरां में मालिक, मैनेजर और कर्मचारियों के नाम-पते प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया गया। इसके अलावा, सीसीटीवी, मास्क-ग्लव्स और पुलिस वेरिफिकेशन जैसे नियम भी लागू किए गए।
और अब, 25 जून 2025 को सीएम ने कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) से पहले फिर स्पष्ट किया कि कांवड़ मार्गों पर खुले में मांसाहारी भोजन की बिक्री पूरी तरह से निषिद्ध होगी। साथ ही, दुकानदारों को अपने नाम, पते और मोबाइल नंबर साफ-साफ दिखाने होंगे। प्रतिबंधित पशुओं की आवाजाही, खाने की तय कीमतें और साफ-सफाई को लेकर भी कड़े निर्देश दिए गए हैं।
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विपक्ष का हमला
सरकार के इस फैसले पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाया, “आप दुकानदार को लाइसेंस देते हैं, नाम क्यों पूछते हैं? अगर नियम तोड़ा जाए तो जुर्माना लगाइए, लेकिन इस तरह से नाम पूछना आपत्तिजनक है।”
वहीं, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इसे “साझा संस्कृति और विरासत को खत्म करने की कोशिश” बताया। उन्होंने कहा, “मुसलमान भी कांवड़ियों की सेवा करते हैं, उन्हें भी इससे दिक्कत है। यह देश मोहब्बत का है, नफरत का नहीं।”
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कांवड़ यात्रियों की आस्था और पवित्रता का पूरा ध्यान रखने की बात कही। उन्होंने कहा, “उनकी यात्रा निरापद हो, उन्हें ज्यादा से ज्यादा सुख-सुविधाएं मिलें, इसका पूरा ध्यान रखना राज्य सरकारों का कर्तव्य है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का शत प्रतिशत पालन किया जाना चाहिए।”
इस ‘नेम प्लेट’ विवाद ने एक बार फिर यूपी की राजनीति को गरमा दिया है। देखना होगा कि सरकार अपनी सख्ती जारी रखती है या विपक्ष के दबाव में कोई नरमी आती है।
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