UTTARAKHAND FOREST FUND CASE: उत्तराखंड फॉरेस्ट फंड घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने धामी सरकार को लगाई फटकार, 19 मार्च तक मांगा जवाब
UTTARAKHAND FOREST FUND CASE: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड फॉरेस्ट फंड मामले में राज्य की धामी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और 19 मार्च तक संतोषजनक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने इस मुद्दे पर जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई करते हुए सरकार से स्पष्ट स्पष्टीकरण मांगा है। न्यायालय ने सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए और जोर देकर कहा कि फॉरेस्ट फंड के उचित उपयोग और पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जाए।
UTTARAKHAND FOREST FUND CASE: उत्तराखंड वन विभाग के फॉरेस्ट फंड (कैम्पा फंड) के कथित दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में उत्तराखंड के मुख्य सचिव से 19 मार्च तक संतोषजनक जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य सरकार इस मामले में संतोषजनक उत्तर देने में विफल रहती है, तो मुख्य सचिव राधू रतूड़ी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण के लिए फंड के दुरुपयोग पर जताई नाराजगी
वन विभाग द्वारा वनीकरण के लिए आवंटित कैम्पा फंड (कंपेंसेटरी अफॉरेस्टेशन फंड मैनेजमेंट एंड प्लानिंग अथॉरिटी) के कथित दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि यह फंड पर्यावरण संरक्षण और हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए दिया जाता है, लेकिन राज्य सरकार ने इसे गलत मदों में खर्च किया है। अदालत ने कहा कि यह फंड पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और वन क्षेत्र के विस्तार के लिए आवंटित किया जाता है, लेकिन इसे गैर-स्वीकार्य कार्यों में खर्च करना गंभीर चिंता का विषय है।
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सीएजी रिपोर्ट में हुआ खुलासा, फंड का इस्तेमाल आईफोन, लैपटॉप और फ्रिज खरीदने में हुआ
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच वनीकरण के लिए निर्धारित कैम्पा फंड का इस्तेमाल गैर-स्वीकार्य खर्चों में किया गया। रिपोर्ट में बताया गया कि इस फंड का उपयोग आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर और कार्यालय जीर्णोद्धार के अलावा अदालती मामलों में लड़ने और व्यक्तिगत खर्चों के लिए किया गया।
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सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2019-20 से 2021-22 के बीच राज्य सरकार ने बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद 275.34 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान नहीं किया था। हालांकि, उत्तराखंड सरकार ने इस मुद्दे को स्वीकार करते हुए दावा किया कि जुलाई 2023 में 150 करोड़ रुपये की ब्याज देनदारी का भुगतान कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद बड़ी राशि का अभी तक हिसाब नहीं दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव को हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए कि वह इस मामले में 19 मार्च तक विस्तृत हलफनामा दाखिल करे। अदालत ने कहा कि यह मामला सिर्फ वित्तीय अनियमितताओं का नहीं, बल्कि पर्यावरणीय सुरक्षा और पारदर्शिता का भी है। यदि उत्तराखंड सरकार समय पर जवाब नहीं देती है, तो मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होना पड़ेगा।
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पीठ ने सरकार से यह भी पूछा कि राज्य में वनीकरण के लिए आवंटित फंड का सही इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया? अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सरकार को पारदर्शी तरीके से इस फंड का उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए और भविष्य में इस तरह की वित्तीय अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
क्या है कैम्पा फंड और क्यों हो रहा विवाद?
कैम्पा (Compensatory Afforestation Fund Management and Planning Authority – CAMPA) फंड का उद्देश्य पर्यावरण संतुलन बनाए रखना और विकास परियोजनाओं के कारण हुए वन क्षेत्र के नुकसान की भरपाई करना है। जब कोई परियोजना जंगलों की भूमि पर बनाई जाती है, तो उसके बदले में उस क्षेत्र में या किसी अन्य स्थान पर नए पेड़ लगाने के लिए कैम्पा फंड दिया जाता है।
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हालांकि, उत्तराखंड में इस फंड का उपयोग निर्धारित उद्देश्यों के बजाय गैर-आवश्यक चीजों पर किया गया। सीएजी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा होने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां अदालत ने सरकार को फटकार लगाते हुए जवाबदेही तय करने के निर्देश दिए हैं।
राज्य सरकार की सफाई और विपक्ष का हमला
उत्तराखंड सरकार ने स्वीकार किया है कि कुछ राशि गैर-स्वीकार्य मदों में खर्च हुई, लेकिन सरकार का कहना है कि उसने जुलाई 2023 में 150 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में जमा कर दिए थे।
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वहीं, विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर धामी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह घोटाला राज्य में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें दिखाता है और सरकार पर्यावरण संरक्षण की जगह अपने लाभ के लिए फंड का दुरुपयोग कर रही है। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस मामले में स्पष्ट जवाब देने की मांग की है।
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