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Stray Cattle Management: उत्तराखंड सरकार का दोहरा प्रबंधन, निराश्रित गोवंश संरक्षण और पोल्ट्री नीति 2025 को दी मंजूरी

उत्तराखंड सरकार ने निराश्रित गोवंश के लिए गौशालाओं के निर्माण और देखरेख हेतु नई नीति बनाई है। साथ ही, अंडा और मीट उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘कुक्कुट विकास नीति 2025’ को मंजूरी दी गई है। इन नीतियों से रोजगार, निवेश और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

Stray Cattle Management: उत्तराखंड में सड़कों पर विचरण कर रहे निराश्रित गोवंश लंबे समय से राज्य प्रशासन के लिए चिंता का विषय रहे हैं। ये मवेशी जहां एक ओर सड़क हादसों का कारण बनते हैं, वहीं दूसरी ओर इनके घायल होने और देखरेख की भी समस्या बनी रहती है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने निराश्रित पशुओं के लिए गौशालाएं स्थापित करने और उनके भरण-पोषण की व्यवस्था को और अधिक संगठित करने का निर्णय लिया है।

गौशालाओं के निर्माण हेतु नई व्यवस्था

प्रदेश सरकार ने अब गौशालाओं की स्थापना की जिम्मेदारी जिलाधिकारियों की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समितियों को सौंप दी है। साथ ही, पशुपालन विभाग को इस योजना का नोडल विभाग बनाया गया है, जो निर्माण से लेकर वित्तीय प्रबंधन तक की जिम्मेदारी निभाएगा।

राज्य में वर्तमान में 16,000 से अधिक निराश्रित गोवंश हैं। उनके लिए पहले ₹5 प्रति पशु प्रतिदिन की दर से भरण-पोषण सहायता मिलती थी, जिसे अब बढ़ाकर ₹80 कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त अब प्रस्तावों को शासन स्तर पर स्वीकृति के लिए भेजने की आवश्यकता नहीं होगी। जिलाधिकारी ₹1 करोड़ तक के प्रोजेक्ट्स को स्वयं स्वीकृति देंगे, जिससे प्रक्रिया तेज और प्रभावी होगी।

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निजी गौशालाओं को सरकार देगी सब्सिडी

नई नीति में यह भी प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति या संस्था निजी स्तर पर गौशाला का निर्माण करती है, तो सरकार उस पर कुल लागत का 60 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करेगी। गौशालाओं के निर्माण के लिए तय मानकों के अनुसार, 50 मवेशियों के लिए ₹46 लाख और 100 मवेशियों के लिए ₹66 लाख की लागत निर्धारित की गई है।

इसके अलावा, पशुपालन विभाग कांजी हाउस में रह रहे निराश्रित पशुओं के इलाज की सुविधा भी उपलब्ध कराएगा, जबकि इन केंद्रों का सामान्य संचालन नगर निकाय ही करते रहेंगे।

उत्तराखंड कुक्कुट विकास नीति 2025 को मिली हरी झंडी

राज्य सरकार ने पोल्ट्री सेक्टर को बढ़ावा देने और अंडा व मीट उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से “उत्तराखंड कुक्कुट विकास नीति 2025” को मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत हर साल 15,444 लाख अंडों और 395 लाख किलो मीट की आपूर्ति की कमी को पूरा किया जाएगा।

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गौरतलब है कि वर्ष 2023 के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में कई निवेशकों ने राज्य में पोल्ट्री सेक्टर में निवेश की इच्छा जताई थी। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह नई नीति तैयार की है, जिसके तहत राज्य में लगभग ₹85 करोड़ का निजी निवेश आने की संभावना है। इस योजना के अंतर्गत करीब ₹29.09 करोड़ की सब्सिडी देने की व्यवस्था की गई है।

आत्मनिर्भरता और रोजगार की ओर एक कदम

राज्य सरकार का उद्देश्य इस नीति के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार देना और पलायन पर अंकुश लगाना है। अनुमान के अनुसार, यह नीति लागू होने के बाद प्रदेश में सालाना 32 करोड़ अंडों और 32 लाख टन पोल्ट्री मीट का उत्पादन संभव होगा। इससे बाहर से अंडा और मांस आयात करने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।

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साथ ही, यह नीति राज्य को करीब ₹50 लाख वार्षिक जीएसटी आय दिला सकती है। इसमें लगभग 1,000 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से और 3,500 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है।

उत्तराखंड सरकार द्वारा निराश्रित गोवंश की देखरेख और पोल्ट्री उत्पादन में आत्मनिर्भरता को लेकर लिए गए ये दोनों फैसले राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। इससे न केवल पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार और राज्य को आर्थिक मजबूती भी प्राप्त होगी।

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