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UTTARAKHAND GOVERNMENT TAKING LOAN: उत्तराखंड की आर्थिक चुनौती: 60 हजार करोड़ के कर्ज तले दबा राज्य, खुले बाजार से 1000 करोड़ का और कर्ज

UTTARAKHAND GOVERNMENT TAKING LOAN: उत्तराखंड में आर्थिक चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं, जहां पहले से ही राज्य पर 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज बकाया है। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य सरकार अब तक 3400 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है, और अब खुले बाजार से 1000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस तरह वित्तीय वर्ष में कुल कर्ज की रकम 4400 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी

UTTARAKHAND GOVERNMENT TAKING LOAN: उत्तराखंड में आर्थिक संकट की स्थिति धीरे-धीरे गहराती जा रही है। एक ओर राज्य पर पहले से ही 60,000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है, वहीं दूसरी ओर धामी सरकार ने 2024-25 के वित्तीय वर्ष में कुल 4400 करोड़ रुपए का कर्ज लेने का निर्णय लिया है। इसमें से 1000 करोड़ रुपए का कर्ज अब खुले बाजार से लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हालांकि, जानकारों और विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य की कमजोर आय और बढ़ते कर्ज की यह स्थिति आने वाले समय में गंभीर वित्तीय संकट का कारण बन सकती है।

खुले बाजार से कर्ज लेने का फैसला

उत्तराखंड सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के जरिए खुले बाजार से 1000 करोड़ रुपए का कर्ज उठाने के लिए 2 जनवरी 2025 को नोटिस जारी किया। सरकार ने टेंडर के माध्यम से 21 संस्थाओं से आवेदन मंगवाए, जिनमें से 5 संस्थाओं के आवेदन स्वीकार किए गए। इस कर्ज को 7% के ब्याज दर पर उठाया जाएगा।

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सरकार का कहना है कि यह कर्ज ऊर्जा, कृषि, सिंचाई और उद्योग विभाग के अंतर्गत चल रही योजनाओं को पूरा करने के लिए लिया जा रहा है। वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने इस निर्णय को राज्य की जरूरतों के लिहाज से उचित ठहराया। उन्होंने कहा:
“जब केंद्र से बजट मिलने में देरी होती है, तो राज्य विकास योजनाओं को बनाए रखने के लिए खुले बाजार से कर्ज लेता है।”

UTTARAKHAND GOVERNMENT TAKING LOAN: Uttarakhand’s economic challenge: State burdened with a debt of 60 thousand crores, another loan of 1000 crores from the open market

2024-25 में अब तक 4400 करोड़ का कर्ज

यह कर्ज इस वित्तीय वर्ष में लिया जा रहा पहला कर्ज नहीं है। 2024-25 के दौरान उत्तराखंड सरकार अब तक 3400 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। 1000 करोड़ के नए कर्ज के साथ इस वित्तीय वर्ष में कुल कर्ज की रकम 4400 करोड़ हो जाएगी। यह स्थिति तब है, जब राज्य पर पहले से ही 60 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है।

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मार्च 2021 में 57,000 करोड़ का कर्ज

मार्च 2021 तक उत्तराखंड पर 57,114 करोड़ रुपए का कर्ज था। यह कर्ज धीरे-धीरे बढ़कर 60,000 करोड़ के पार चला गया है। राज्य के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा इस कर्ज के ब्याज को चुकाने में खर्च हो रहा है, जिससे नई योजनाओं और विकास कार्यों के लिए बजट की कमी हो रही है।

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आर्थिक विशेषज्ञों की चिंता

वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली का मानना है कि उत्तराखंड की आर्थिक स्थिति हमेशा से कमजोर रही है। उन्होंने कहा:
“उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इसके हिस्से में करीब 4000 करोड़ कार्य कर्ज आया था। इसके बाद, आय के स्रोत बढ़ाने की बजाय खर्च बढ़ते गए। राज्य का वार्षिक बजट लगभग 70% अयोजनागत मद में खर्च हो जाता है। इससे नई योजनाओं के लिए बजट में कटौती करनी पड़ती है।”

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य का केंद्र पर निर्भर रहना एक बड़ी समस्या है। जब केंद्र से बजट कटौती होती है, तो राज्य नई योजनाओं पर विचार नहीं कर पाता।

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Written By। Mansi Negi । National Desk। Delhi

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