Vypam Scam: व्यापम घोटाले में हैंडराइटिंग बनी बचाव की ढाल, सॉल्वर अब भी पकड़ से बाहर!
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले (VYAPAM Scam) की जांच में एक बार फिर गंभीर खामियां सामने आ रही हैं। जहां एक ओर घोटाले की जड़ में नकल और सॉल्वर गैंग की भूमिका को माना जा रहा था, वहीं अब सामने आ रहा है कि हैंडराइटिंग (लिखावट) के आधार पर आरोपी बच निकल रहे हैं,
Vypam Scam: मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले (VYAPAM Scam) की जांच में एक बार फिर गंभीर खामियां सामने आ रही हैं। जहां एक ओर घोटाले की जड़ में नकल और सॉल्वर गैंग की भूमिका को माना जा रहा था, वहीं अब सामने आ रहा है कि हैंडराइटिंग (लिखावट) के आधार पर आरोपी बच निकल रहे हैं, और CBI अब तक सॉल्वर गैंग के असली सदस्यों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
क्या है व्यापम घोटाला?
व्यापम (Vyavsayik Pariksha Mandal) घोटाला भारत के सबसे बड़े परीक्षा घोटालों में से एक है, जिसमें मेडिकल, इंजीनियरिंग और सरकारी नौकरियों की परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा, नकल, और पैसों के बल पर चयन का आरोप है। इस घोटाले की शुरुआत 2013 में हुई थी, और तब से अब तक कई छात्र, अधिकारी, और नेताओं के नाम इसमें सामने आ चुके हैं।
जांच में हैंडराइटिंग बना बचाव का हथियार
CBI द्वारा की जा रही जांच में अब यह खुलासा हुआ है कि कई मामलों में सिर्फ हैंडराइटिंग मिलान के आधार पर आरोपी को क्लीन चिट दी जा रही है। यानी, अगर परीक्षा की उत्तर पुस्तिका में लिखावट उस व्यक्ति से मेल खाती है, जिसने फॉर्म भरा था, तो माना जा रहा है कि वही परीक्षार्थी परीक्षा में बैठा था।
लेकिन जानकारों का कहना है कि यह तरीका पूरी तरह दोषमुक्त नहीं है, क्योंकि सॉल्वर गैंग ऐसे व्यक्ति को बैठाते थे जो हैंडराइटिंग नकल कर सके। ऐसे में केवल लिखावट का मिलान करना न ही वैज्ञानिक है और न ही न्यायोचित।
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CBI पर उठे सवाल
CBI ने अब तक इस घोटाले में सैकड़ों छात्रों और बिचौलियों को तो गिरफ्तार किया है, लेकिन असल सॉल्वर गैंग को पकड़ने में नाकाम रही है। सॉल्वर वे लोग होते हैं जो परीक्षार्थी की जगह जाकर परीक्षा देते हैं। इनकी पहचान और गिरफ्तारी जांच का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन अभी तक इनमें से अधिकांश खुले घूम रहे हैं।
कोर्ट में भी उठी आवाज
हाल ही में कोर्ट में भी यह मुद्दा उठा कि CBI की जांच में गहराई की कमी है और केवल सतही सबूतों के आधार पर आरोपियों को छोड़ दिया जा रहा है। पीड़ित पक्ष के वकीलों ने दलील दी कि जांच में डिजिटल सबूतों, परीक्षा केंद्रों की CCTV फुटेज, और अन्य तकनीकी माध्यमों का उपयोग होना चाहिए।
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आगे क्या?
व्यापम घोटाले को लेकर जनता में पहले ही भारी आक्रोश है। एक बार फिर जांच की धीमी रफ्तार और आरोपियों के बच निकलने की खबरों ने CBI की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर जल्द ही प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह केस भी उन घोटालों की कतार में शामिल हो जाएगा, जिन्हें कभी पूरी तरह सुलझाया नहीं जा सका।
व्यापम जैसा घोटाला सिर्फ एक राज्य या परीक्षा व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि पूरे देश की न्याय प्रणाली और ईमानदारी पर सवाल खड़ा करता है। अगर जांच एजेंसियां सॉल्वर गैंग तक नहीं पहुंच पातीं, तो यह केवल तकनीकी चूक नहीं बल्कि न्याय का मज़ाक बन जाएगा।
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