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Indira Gandhi: क्या अमेरिका के दबाव में हुआ था शिमला समझौता? भाजपा ने उठाए सवाल, कांग्रेस का तीखा पलटवार

भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुए ऐतिहासिक शिमला समझौते को लेकर सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि यह समझौता अमेरिकी दबाव में हुआ था।

Indira Gandhi: भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुए ऐतिहासिक शिमला समझौते को लेकर सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और सांसद निशिकांत दुबे ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि यह समझौता अमेरिकी दबाव में हुआ था। उनके इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश बताया है।

इंदिरा गांधी पर अमेरिका का दबाव

निशिकांत दुबे ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉम एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक दस्तावेज साझा किया, जिसमें राज्यसभा में हुई एक पुरानी चर्चा का उल्लेख है। इस दस्तावेज के जरिए उन्होंने यह तर्क दिया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर अमेरिका का दबाव था, जिसकी वजह से भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर मिली निर्णायक जीत के बावजूद शिमला समझौते में नरम रुक दिखाया था।

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56 जवानों की बलि क्यों दी गई?

निशिकांत दुबे ने सीधे- सीधे भारत-पाकिस्तान के 1971 युद्ध के हुऐ शिमला समझौता पर सवाल खड़े किए है, “क्या आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने अमेरिका के दबाव में शिमला समझौता किया? 5000 स्क्वायर मील ज़मीन पाकिस्तान को क्यों दी गई, 93 हज़ार सैनिक लौटाकर अपने 56 जवानों की बलि क्यों दी गई? राज्यसभा में उठे सवालों का न इंदिरा गांधी ने जवाब दिया, न विदेश मंत्री ने।”

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कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया

इस बयान के सामने आते ही कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि शिमला समझौता भारत की कूटनीतिक सफलता का प्रतीक था और इससे पाकिस्तान को भारत की शर्तों पर समझौते के लिए मजबूर होना पड़ा था। उन्होंने आगे कहा की यह समझौता युद्ध के बाद शांति और स्थिरता के लिए जरूरी था। भाजपा इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा कि यदि अमेरिका का दबाव होता, तो पाकिस्तान के कब्जे में गए भारतीय क्षेत्रों और युद्धबंदियों की रिहाई जैसे अहम मुद्दों पर भारत को सफलता नहीं मिलती। उन्होंने यह भी जोड़ा कि उस समय भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति था और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश ने आत्मनिर्भरता और सैन्य शक्ति का उदाहरण भी पेश किया था।

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शिमला समझौता भारत की कूटनीतिक

शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था। इस समझौते के तहत दोनों देशों ने आपसी मतभेदों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने और बल प्रयोग से बचने का संकल्प लिया था। इस समझौते को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना गया क्योंकि इसके तहत पाकिस्तान को अपने कब्जे में लिए गए इलाकों को छोड़ना पड़ा और 93,000 से अधिक पाकिस्तानी युद्धबंदियों को भारत ने मानवीय आधार पर रिहा किया है।

भारत की छवि को नुकसान

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दशकों पुराने इस समझौते को आज की राजनीति में खींचना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि इससे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान हो सकता है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा जानबूझकर इस मुद्दे को उठाकर ध्यान भटकाना चाहती है, जबकि सत्तापक्ष इसे ऐतिहासिक तथ्यों की समीक्षा का हिस्सा बता रहा है।

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